09 February 2024
जम्मू कश्मीर के चार खिलाड़ी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में अपना हुनर दिखा रहे हैं। हाल ही में इन्होंने डोमेस्टिक टी20 इंटरनेशनल कॉम्पटीशन में इंग्लैंड की दिव्यांग टीम को पांच मैचों की सीरीज में 3-2 से मात दी थी। आपको जानकर खुशी होगी कि भारतीय दिव्यांग टीम 2019 और 2023 की वर्ल्ड चैम्पियन है। इस टीम के फास्ट बॉलर आमिर हसन को इस बात का अंदाजा बचपन में ही हो गया था कि उन्हें दायें कि जगह बायें हाथ से ही काम लेना होगा।
ढाई साल की उम्र में हुआ हादसा
आमिर जब ढाई साल के थे तब आग में उनका दाया हाथ झुलस गया था। इसके बाद उन्हें अपने इस हाथ की अंगुलियों को गंवाना पड़ा। आमिर सोपोर जिले के तारजू गांव के रहने वाले है। कभी सेब के बागानों के लिए जाने जाने वाली ये जगह 90 के दशक में आतंक का गढ़ हुआ करता था। खैर, आमिर अपने परिवार के सबसे बड़े बेटे है। अपने पिता के साथ सेब के बागानों में काम करने के लिए उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।
बयां किया कश्मीर का हाल
भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के इस अहम तेज गेंदबाज ने कहा-‘कश्मीर में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक समस्या है। प्रेक्टिस के लिए मैं अपने गांव से तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाता हूं। जहां तक अशांति की बात है तो ये मुझे प्रभावित नहीं करती।’
इस खिलाड़ी को मानते हैं आदर्श
आमिर लेफ्ट हैंड फास्ट बॉलर इरफान पठान और भारत के लिए खेलने वाले जम्मू कश्मीर के पहले क्रिकेट परवेज रसूल को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने कहा-‘मैं बचपन से ही सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता था। मैं बस ट्रेनिंग के लिए जाता था और वापस घर आ जाता था। मैंने कभी भी अपना ध्यान भटकाने वाली गतिविधि में भाग नहीं लिया।’ आमिर के साथ-साथ नेशनल टीम के वाइस कैप्टन वसीम इकबाल, बल्लेबाज माजिद मागरे और जफर भट्ट भी घाटी के खिलाड़ियों की सफलता की मिसाल है। जहां वसीम और मादिज अनंतनाग से है तो वहीं, जफर कश्मीर के रहने वाले है।
बचपन से घुटनों की बीमारी
टीम के सबसे एक्सपीरियंस्ड प्लेयर वसीम को बचपन में घुटनों की बीमारी हो गई थी। इस वजह से उन्हें चलने में परेशानी होती थी। लेकिन आज वो अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो चुके हैं। वसीम ने कहा-‘मैं परवेज रसूल के घर के पास ही रहता हूं। वो भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले घाटी के पहले सक्षम क्रिकेटर हैं। उन्होंने हमारी बहुत मदद की।’