09 February 2024
मणिपुर के आदिवासी समूह के सदस्यों ने भारत-म्यांमा मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर विरोध किया। दरअसल भारत-म्यांमा सीमा के पास रहने वाले लोगों को एफएमआर के तहत बिना किसी डॉक्यूमेंट के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक अंदर जाने की इजाज़त है। इस मामले पर जो यूनाइटेड के प्रवक्ता गिन्जा वुअलजोंग का कहना है कि मणिपुर और मिजोरम में आदिवासी समुदाय एफएमआर के फैसले से खुश नहीं हैं और वो लोग बड़े पैमाने पर फैसले का विरोध करने के लिए ज़रुरी कदम उठाएंगे।
केंद्र के फैसले का विरोध
आदिवासी समूहों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होने कहा था कि केंद्र सरकार ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए एफएमआर को खत्म करने का फैसला किया है। गृहमंत्री के इस बयान पर गिन्जा वुअलजोंग ने कहा कि हमने बुधवार को गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ तीन घंटे तक बैठक की। हमने बैठक के दौरान उन सभी मुद्दों पर चर्चा की जिनका हम अपने देश में सामना कर रहे हैं। उन्होंने हमारे मुद्दों और चिंताओं को आराम से सुना है और कहा है कि वे इसे उच्च अधिकारियों तक पहुंचायेंगे।
आपको बता दें कि ‘जो यूनाइटेड’ एक समन्वय निकाय है जिसमें कुकी इंपी मणिपुर, जोमी काउंसिल, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ), कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू), हिल ट्राइबल काउंसिल (एचटीसी) और जनजाति परिषद जैसे सभी बड़े संगठन शामिल हैं।