Introduction
10 Temples in India Where Women Are Not Allowed: कहते हैं भगवान के घर में सब लोग बराबर हैं, लेकिन भारत में कई ऐसे मंदिर भी मौजूद हैं, जहां एंट्री को लेकर लिंग भेद किया जाता है. हालांकि, देश के संविधान में हर एक इंसान को मंदिरों में समान रूप से प्रवेश की इजाजत है. इसके बावजूद भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां पीरियड्स के दौरान महिला का मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित है. इसके अलावा कुछ मंदिरों में तो पीरियड्स के उम्र की महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया जाता है. ऐसे में आज हम आपको देश के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां औरतों का जाना बिल्कुल मना है. आपको बता दें कि केरल का फेमस सबरीमाला मंदिर भी इस लिस्ट में आता है, जहां महिला केवल बाहर से ही मंदिर के दर्शन कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह तक नहीं जा सकतीं. आइए जानते हैं भारत में ऐसे और कौन-कौन से मंदिर हैं.
Table of Content
- पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
- जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
- कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
- बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
- सबरीमाला मंदिर, केरल
- माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
- शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
- रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
- मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
- ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
केरल का श्री पद्मनाथ स्वामी श्री हरि विष्णु को समर्पित है. यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है जो केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पूर्वी किले के अंदर स्थित है. इस मंदिर को ‘दिव्य देसम’ भी कहा जाता है जो भगवान विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में से एक है. दिव्य देसम श्री हरि का सबसे पवित्र निवास स्थान है जिसका वर्णन तमिल संतों द्वारा लिखे गए पांडुलिपियों में मिलता है.
यहां देश के कोने-कोने से भक्तजन और श्रद्धालुजन दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु की प्रतिमा इसी स्थान पर सबसे पहले मिली थी. यहां महिलाएं श्री हरि विष्णु का पूजन तो करती हैं, मगर उन्हें मंदिर के गर्भगृह के अंदर जाने की मनाही है. इसके अलावा बाहर से भी महिलाओं को दर्शन करने के लिए ड्रेस कोड को फॉलो करना पड़ता है. हालांकि, यहां दर्शन के लिए पुरुषों के लिए ड्रेस कोड है.
इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावणकोर के प्रसिद्ध राजा मार्तंड वर्मा ने करवाया था. जानकारी के लिए बता दें कि केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम नाम भी श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता के नाम पर रखा गया है, जिन्हें अनंत भी कहते हैं. ‘तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है – श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि.
जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश का जैन मंदिर भी उस लिस्ट में शामिल है जहां महिलाओं को आसानी से प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. खासतौर से जिन महिलाओं ने वेस्टर्न कपड़े पहने हों, वह मंदिर के अंदर नहीं जा सकती. यह मंदिर मध्य प्रदेश के गुना में स्थित है. इतना ही नहीं इस मंदिर में उन महिलाओं को भी एंट्री नहीं मिलती जिन्होंने मेकअप किया हो. जैन मंदिर भगवान शांतिनाथ को समर्पित है जो यहां के प्रमुख देवता हैं. इस मंदिर का मूल नाम श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र है. जैन मंदिर का निर्माण 1236 में हुआ था. लाल पत्थर से बनीं कई जैन तीर्थंकर की प्रतिमाएं मंदिर में मौजूद हैं.
कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप को समर्पित कार्तिकेय मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. यहां भगवान के ब्रह्मचारी स्वरूप का पूजन किया जाता है. मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी होने की वजह से मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. अगर कोई महिला इस मंदिर में दर्शन करने आती है तो उसे श्राप मिलता है. यही वजह है कि औरतें इस मंदिर में जाने से खुद को बचाती हैं.
बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश का बाबा बालक नाथ मंदिर ‘देवसिद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के मुख्य देवता सिद्ध बाबा बालक नाथ एक हिंदू देवता हैं. उनकी पूजा प्रमुख तौर पर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है. यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर और बिलासपुर जिलों की सीमा पर ‘हमीरपुर’ से दूर स्थित है. बाबा बालक नाथ मंदिर हमीरपुर जिले के चकमोह गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर प्राकृतिक गुफा में स्थित हैं. इस गुफा में बाबा बालक नाथ की मूर्ति स्थापित है.
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वैसे तो इस तीर्थस्थान पर पूरे साल कभी भी दर्शन करने के लिए जाया जा सकता है, लेकिन सनडे का दिन बाबा जी का पवित्र दिन माना जाता है. हालांकि कुछ समय पहले तक हमीरपुर में स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में महिलाओं का एंट्री लेना मना था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज भी यहां महिलाएं बाबा की गुफा के बाहर से ही दर्शन कर सकती हैं.
सबरीमाला मंदिर, केरल
दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है सबरीमाला मंदिर. भगवान अयप्पा को समर्पित यह मंदिर केरल के पथानामथिट्टा जिले में पेरियार टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है. पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान अयप्पा श्री हरि विष्णु और भगवान शिव के स्त्री अवतार मोहिनी द्वारा जन्म दिए गए पुत्र हैं. बता दें कि भगवान अयप्पा भगवान धर्म शास्त्र के अवतार माने गए हैं. यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर है. यह मंदिर कुछ खास मौसमों और दिनों के दौरान ही भक्तों के लिए खुला रहता है. इस मंदिर में जाने के लिए कई प्रतिबंध और अनुष्ठान का पालन करना पड़ता है.
दरअसल, मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जिन्हें थिनेट्टू त्रिपदीकल भी कहा जाता है. बता दें कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश करना वर्जित है. इस मंदिर में 10 वर्ष की बच्ची से लेकर 50 वर्ष तक की महिला एंट्री नहीं ले सकती. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी है. सबरीमाला मंदिर के कपाट साल में केवल दो बार खुलते हैं एक 14 जनवरी और दूसरा 15 नवंबर को.
माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
माता मावली का मंदिर भारत में ही नहीं, बल्कि इसे विदेश में भी खूब जाना-पहचाना जाता है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में भाटापारा के तहसील में एक गांव में स्थित है. माता मावली मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 75 किलोमीटर से दूर मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि यहां माता मावली त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की इच्छा से प्रकट हुई थीं. बता दें कि यह मंदिर देश-विदेश में इतना फेमस होते हुए भी यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. आज भी सिर्फ पुरुष ही इस 400 साल पुराने मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. मां आदि शक्ति के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
शनि शिंगणापुर मंदिर एक फेमस शनि मंदिर है. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित यह मंदिर श्री शनेश्वर देवस्थान की कथाओं और अनगिनत भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. इस मंदिर के अविश्वसनीय चमत्कारों के बारे में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. महाराष्ट्र का जिला अहमदनगर संतों के निवास स्थान के तौर पर प्रसिद्ध है. अक्सर लोगों के मन में शनिदेव का खौफ देखा जाता है. आपको बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओ का प्रवेश करना वर्जित है, लेकिन वह मंदिर का बाहर से दर्शन कर सकती हैं. हालांकि, इस दकियानुसी परंपरा को महिलाओं द्वारा तोड़ने की भी कोशिश की गई जिसके लिए उन्होंने रैली भी निकाली थी. बावजूद इसके महिलाएं मंदिर में आज भी प्रवेश करने से वंचित हैं.
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है रणकपुर जैन मंदिर. राजस्थान में स्थित यह मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर है. बता दें कि उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर रणकपुर मंदिर मौजूद है. इस मदिर की इमारत बेहद विशाल और भव्य है जो लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है. बता दें कि 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में इ मंदिर का निर्माण हुआ था. जो करीब 50 साल तक बनकर तैयार हुआ. रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण में लगभग 99 लाख रुपये खर्च हुए. इस तीर्थ स्थान का नाम राणा कुंभा के नाम पर ही रणकपुर रखा गया. यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के एक शानदार नमूनों में से एक है. अगर आप जैन धर्म में आस्था रखते हैं और वास्तुशिल्प में दिलचस्पी रखते हैं तो यह जगह आपको खूब पसंद आएगी.
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इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि यहां महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. हालांकि यहां महिलाओं की एंट्री पूरी तरह से तो वर्जित नहीं है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के आने पर रोक है. इसके अलावा महिलाओं को वेस्टर्न कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
मां मंगल चंडी मंदिर झारखंड के फेमस मंदिरों में से एक है. यह मंदिर झारखंड के बोकारो जिला मुख्यालय से दूर कसमार प्रखंड के कुसमाटांड़ गांव में स्थित है. बता दें कि इस मंदिर में बच्चियों और महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मां मंगल चंडी मंदिर में महिलाएं और बच्चियां किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान एंट्री नहीं ले सकती हैं. महिलाएं मंदिर से लगभग 150-200 मीटर की दूरी बैठकर ही पूजा कर सकती हैं. वहीं से बैठकर ही मां मंगल चांडी की पूजा और आराधना कर सकती हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार, पिछले करीब 100-150 सालों से महिलाओं के लिए मंदिर में प्रवेश लेना वर्जित है. इस परंपरा का आज भी यहां के लोग सख्ती से पालन कर रहे हैं.
ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ध्रूम ऋषि मंदिर में भी कई दशकों से एक अनोखी परंपरा का पालन किया जा रहा है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित एक फेमस मंदिर है. इस मंदिर में भी महिलाओं की एंट्री पर भी बैन लगा हुआ है. यहां गांव के लोग कई दशकों से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में कड़ाई से कर रहे हैं. अगर गलती से भी कोई महिला मंदिर में प्रवेश कर लेती हैं तो गांव को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. गांव से सभी पुरुष इस मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाते हैं, मगर कोई भी महिला आज तक मंदिर की चौखट को भी छू नहीं पाई है.
Conclusion
भले ही समाज में स्त्री और पुरुष को समान दर्जा दिया गया है, लेकिन व्यावहारिकता में ऐसा नहीं है. यह कार्यस्थल और नौकरियों के अलावा धार्मिक स्थलों पर भी नजर आता है. भले ही इस पर विवाद हो, लेकिन यह नैतिक रूप से गलत है. मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश न करने देना एक तरह से अमानवीय कृत्य है.
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