Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नोटिस जारी कर कानूनी शिक्षा और आत्मरक्षा प्रशिक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा और आत्मरक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य रूप से शामिल करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य से जवाब मांगा है जिसको लेकर सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.
प्रदेशों को नोटिस जारी
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि अगर बच्चे को अधिकारों की जानकारी नहीं है, तो उन अधिकारों का कोई मतलब नहीं है. दिल्ली की गीता रानी ने याचिका में कहा है कि प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बुनियादी कानूनों को समझना आवश्यक है. मौलिक अधिकारों की गारंटी संविधान ने दे रखी है.
दिल्ली की रहने वाली गीता रानी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि हर नागरिक के लिए बुनियादी कानूनों को समझना अनिवार्य है, ताकि वे संविधान द्वारा दिए गए अपने मौलिक अधिकारों का फायदा उठा सके और उनकी रक्षा कर सके.
बच्चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा
याचिका के मुताबिक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने भारत में अपराध 2022 के शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.62 लाख मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 8.7 फीसदी ज्यादा हैं. याचिका में दलील दी गई है कि कानूनी शिक्षा और आत्मरक्षा प्रशिक्षण बच्चों के खिलाफ हिंसा और अपराध की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है.
याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत बच्चों को सभी प्रकार की हिंसा और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए बाध्य है. इसमें दावा किया गया है कि कई मामलों में पीड़ित ज्यादातर बच्चे आत्मरक्षा के कौशल के अभाव के चलते अपनी रक्षा नहीं कर सके.
याचिका में कहा गया है कि 2013 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए कानूनी शिक्षा को अनिवार्य विषय के बजाय वैकल्पिक विषय के रूप में पेश किया था, लेकिन इसे लागू किया जाना बाकी है. इसमें कहा गया है कि ये पहल छात्रों, खासकर लड़कियों को खुद की रक्षा करने का हुनर सिखाकर और उनका आत्मविश्वास बढ़ाकर उन्हें सशक्त बनाएगा.
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