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फिर हो सकती है उत्तराखंड के केदारनाथ जैसी त्रासदी, ग्लेशियर झीलों ने डराया; जानें क्या है पूरा मामला

by Divyansh Sharma
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Climate Change In Himalayas and Glacier Lake tragedy like Kedarnath

Climate Change In Himalayas and Glacier Lake: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के 13 ग्लेशियर में मौजूद 5 ग्लेशियर झीलों को संवेदनशील श्रेणी में रखा है.

Climate Change In Himalayas and Glacier Lake: हिमालयी क्षेत्र से एक डराने वाली जानकारी सामने आ रही है. दरअसल, जलवायु परिवर्तन हिमालयी क्षेत्र को तेजी से बदल रहा है.

इससे हिमालयी क्षेत्रों में बहुत बड़ा संकट सामने आया है. केंद्र सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियर झीलों का अध्ययन किया है.

अध्ययन के बाद उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के 13 ग्लेशियर में मौजूद 5 ग्लेशियर झीलों को संवेदनशील श्रेणी में रखा है. इससे निचले इलाके के लोगों की टेंशन बढ़ सकती है.

13 ऐसी ग्लेशियर झीलों को चिह्नित किया गया

दरअसल, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सैकड़ों की सख्या में ग्लेशियर लेक मौजूद है. इन झीलों का समय-समय पर आकलन किया जाता है. आकलन के बाद ही गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड के 13 ऐसी ग्लेशियर झीलों को चिह्नित किया है, जो संवेदनशील हैं.

इन झीलों को संवेदनशीलता के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इनमें 13 हिम लेक में से 5 झीलों को अत्यधिक संवेदनशीलता माना गया है. इनमें से चार पिथौरागढ़ में और एक चमोली में स्थित है. मामले के सामने आने के बादी ही उत्तराखंड का आपदा विभाग बेहद ही सतर्क हो गया है.

इसको लेकर एक आपदा और वाडिया इंस्टिट्यूट के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की टीम चमोली के वसुधारा फॉल्स का आकलन कर चुकी है. इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों बाद आपदा विभाग को सौंप जाएगी.

पहले भी सामने आ चुकी है ग्लेशियर झील के टूटने की घटना

बता दें कि इससे पहले भी उत्तराखंड में इस तरह की आपदा झेल चुका है. साल 2013 में केदारनाथ और 2021 में चमोली के रैनी गांव में इसी तरह की ग्लेशियर झील के टूटने की वजह से त्रासदी आई थी.

उत्तराखंड में दोबारा ऐसी त्रासदी न आए, इसे लेकर भारत सरकार के रिपोर्ट ने चिंता पैदा कर दी है. इसे लेकर उत्तराखंड सरकार भी काफी गंभीर है. रिपोर्ट के मिलते ही ट्रीटमेंट को लेकर कदम उठाया जाएगा.

अध्ययन में बताया गया है कि वसुधारा ग्लेशियर लेक की साइज लगातार बढ़ती जा रही है. साल 1968 में यह 0.14 वर्ग किलोमीटर था, जो साल 2021 में बढ़कर करीब 0.59 वर्ग किलोमीटर हो गया है.

यानी 53 सालों के दौरान वसुधारा ग्लेशियर लेक की साइज में करीब 421.42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.

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साइज से साथ-साथ पानी की मात्रा में भी हुई बढ़ोतरी

वहीं, इस लेक के साइज में बढ़ोतरी के बाद पानी की मात्रा भी लगातार बढ़ती जा रही है. साल 1968 में वसुधारा ग्लेशियर लेक में करीब 21,10,000 क्यूबिक मीटर पानी था. साल 2021 में बढ़कर करीब 1,62,00,000 क्यूबिक मीटर हो गया है.

यानी इन 53 सालों में वसुधारा ग्लेशियर लेक में मौजूद पानी की मात्रा में करीब 767.77 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक के मनीष मेहता का कहना है कि अलग-अलग क्षेत्र में ग्लेशियर झील बनते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि वसुधारा झील समेत सभी पांच अति संवेदनशील झीलों का निरीक्षण किया गया है. हालांकि, इस घटना ने सतर्कता बढ़ा दी है.

भारत सरकार के की ओर से चिन्हित सभी 5 झीलों पर उत्तराखंड सरकार नजर रख रही है ताकि आने वाले समय में किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके.

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