Sambhal Masjid Survey Violence: जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह कई सौ साल पुराना हरिहर मंदिर है. मुस्लिम पक्ष ने इसे नकार दिया.
Sambhal Masjid Survey Violence: उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है. मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को भी लेकर अदालत में मामला भी जारी है. इन दोनों ही जगहों पर हिंदू पक्ष का मानना है कि मस्जिद सैकड़ों साल पुराने पौराणिक मंदिर थे. इन्हें तोड़कर मस्जिद बनाए गए थे.
अब इस बीच उत्तर प्रदेश के संभल से भी ऐसा कुछ मामला सामने आया है. संभल की सैकड़ों साल पुराने जामा मस्जिद को लेकर इलाके में तनाव बढ़ गया. तनाव इस कदर बढ़ गया कि संभल पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने और लाठीचार्ज करना पड़ा. हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई. न्यूज एजेंसी PTI ने इस बात की पुष्टि कर दी है. कई पुलिस वाले घायल भी हुए हैं.
स्कंद पुराण में भी है उल्लेख
दरअसल, संभल के कोटपूर्वी मोहल्ले में स्थित सैकड़ों साल पुराने जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि जामा मस्जिद कई सौ साल पुराना पौराणिक मंदिर है.
हिंदू पक्ष की याचिका पर जिले की सिविल कोर्ट की ओर से 19 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे शुरू किया गया. इसे लेकर सांप्रदायिक सियासत गरमा गई. हिंदू पक्ष के मुताबिक मस्जिद के नीचे एक हरिहर मंदिर था.
दावा किया गया हरिहर मंदिर से ही विष्णु के दशावतारों में से एक कल्कि का अवतार होने वाला है. हिन्दू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में सबसे बड़े पुराण स्कंद पुराण में भी कई चौंकाने वाले उल्लेख किए गए हैं.
स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है कि दशावतारों में से एक भगवान कल्कि का अवतार संभल नाम की जगह पर ही होगा. मंडलीय गजेटियर ने भी साल 1913 में जामा मस्जिद को भगवान विष्णु के पौराणिक और प्रसिद्ध मंदिर होने का भी जिक्र किया है.
मंडलीय गजेटियर में इसे कोटपूर्वी मोहल्ले के नजदीक बताया गया है. हालांकि, गजेटियर में यह भी कहा गया कि अब मंदिर अस्तित्व में नहीं है. हिंदू पक्ष ने इन सभी को आधार बनाया है.
बाबर नामा में किया गया जिक्र
पुरातत्व विभाग के मुताबिक यह मस्जिद 498 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है. इसकी निगरानी 104 साल से पुरातत्व विभाग कर रहा है. पुरातत्व विभाग की ओर से मस्जिद का सर्वे लगातार किया जाता रहा है.
सैकड़ों साल पुराने जामा मस्जिद का जिक्र मुगल आक्रांता बाबर की आत्मकथा ‘बाबर नामा’ में भी मिलता है. ‘बाबर नामा’ के मुताबिक बाबर के आदेश पर साल 1526 में मीर बेग ने इस मस्जिद का निर्माण कराया.
उस समय बाबर ने अपने बेटे को संभल जागीर में दी थी. बाद में हुमायूं बीमार पड़ गया. बीमारी की हालत में हुमायूं संभल से लौट गया.
मुगल शासक अकबर के एक नवरतन दरबारी अबुल फजल की ओर से लिखी गई ‘आइन ए अकबरी’ में भी इस मस्जिद का विस्तार से उल्लेख किया गया है.
ऐसे में हिंदू पक्ष कहता है कि हरिहर मंदिर को तोड़ कर ही बाबर ने जामा मस्जिद का निर्माण कराया. वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहता है कि मस्जिद में हिंदू मंदिर होने के किसी तरह के सबूत नहीं है.
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि बाबर ने इस मस्जिद को कभी बनवाया ही नहीं था. उसने सिर्फ जीर्णोद्धार कराया है.
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मोहम्मद बिन तुगलक का भी जिक्र
कई रिपोर्ट में इसे संभवतः मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में बनवाए जाने का भी दावा किया जाता है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि लोधी वंश के राजाओं को हराने के बाद मोहम्मद बिन तुगलक संभल आया तो जरूर था, लेकिन उसने भी यह मस्जिद नहीं बनवाई.
गौरतलब है कि मस्जिद का वास्तु भी मुगलकालीन वास्तुकला से मेल नहीं खाता है. इस मामले में एक ASI यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी सामने आई है. इसे साल 1879 में तैयार किया गया था.
ASI के तत्कालीन अधिकारी एसईएल कार्ले की रिपोर्ट में इसे मूल रूप से हरिहर मंदिर बताया गया. मस्जिद के अंदर एक शिलालेख भी है, जिसपर साफतौर पर बाबर के नाम का जिक्र है. इस शिलालेख को हिंदू पक्ष हिंदू शिलालेख बताता है और दावा करता है कि इससे छेड़छाड़ की गई.
रिपोर्ट में दावा किया गया कि संभल के कई मुसलमानों सर्वे अधिकारी के सामने कबूला था कि बाबर के नाम वाला शिलालेख गलत है. रिपोर्ट में इसे पृथ्वीराज चौहान से भी जुड़ा हुआ बताया गया है. हालांकि, सर्वे को लेकर पूरे इलाके में तनाव चरम पर है. साथ ही इलाके में भारी संख्या में भारी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई है.
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