Jharkhand Election Result : झारखंड में एक बार रचते इतिहास रचते हुए JMM के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सत्ता में वापसी की है. रुझानों के अनुसार 81 सीटों में से 57 पर बढ़त बना रखी है.
Jharkhand Election Result : झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद रुझानों को देखते हुए तय हो गया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले I.N.D.I.A. ब्लॉक की जीत साफ दिख रही है. हेमंत सोरेन एक बार फिर मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने में सफल होते दिख रहे हैं. शुरुआत में बढ़त बनाने के बाद NDA जब पिछड़ा तो वह आगे नहीं आ पाया. ऐसी क्या वजह रही कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रच दिया और झारखंड में उसे मुंह की खानी पड़ी. जानिए वह कारण जिसकी वजह से BJP हेमंत सोरेन के किले को टस से मस नहीं कर पाई.
नहीं चल पाया घुसपैठिया का मुद्दा
झारखंड में हार का एक कारण BJP के लिए यह भी हो सकता है कि पार्टी ने बांग्लादेशी अप्रवासियों का मुद्दा चुनाव प्रचार के दौरान खूब भुनाया. लेकिन वह पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाई. इसकी वजह यह है कि पूरे झारखंड में 24 जिले हैं जो पांच प्रमंडल के अंतर्गत आते हैं, जिसमें दक्षिण छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर कोल्हान, संथाल परगना और पलामू शामिल है. इन प्रमंडलों में परगना ही एकमात्र ऐसी जगह जहां पर बांग्लादेशी प्रवासी को लेकर थोड़ी समस्या है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने एक प्रमंडल का मुद्दा पूरे राज्य में प्रचार किया, जिसमें वह पूरी तरह से असफल रही.
चुनाव में BJP का कोई CM चेहरा नहीं
झारखंड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री पद के लिए कोई फेस नहीं था, जबकि वहां हेमंत सोरेन का जैसा परिपक्व नेता खड़ा था, जिनके पास शिबू सोरेन की बड़ी राजनीतिक विरासत है. हालांकि, BJP के पास राज्य में कई वरिष्ठ नेता है जो सीएम का चेहरा बन सकते थे लेकिन पार्टी ने ऐसा न करके अपने आपको सत्तारूढ़ गठबंधन से एक कदम पीछे धकेल दिया. इसी बीच BJP ने चम्पई सोरेन को अपने पाले में लाकर झारखंड में चुनाव जीतने के कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं हो पाई ऐसे में उसके सारे हथियार फेल हो गए.
हेमंत की गिरफ्तारी से BJP को लगा झटका!
विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद JMM ने राज्य में एक माहौल बनाया कि एक आदिवासी सीएम को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जनजाति के लोगों से काफी दिक्कत है. जेल से छूटने के बाद हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन से मुलाकात कर राज्य में जमकर भावनात्मक चुनाव प्रचार किया, जिसका फायदा सीधा पार्टी को मिला और BJP को रणनीति उल्टी पड़ गई. इसके अलावा जब हेमंत सोरेन जेल में थे उस वक्त उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को पीड़ित कार्ड खेलने के लिए NDA के खिलाफ तैनात किया.
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