Noida News : प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग का उपयोग किया जा रहा है, ताकि हवा में मौजूद कण और धूल को कम किया जा सके.
20 November, 2024
Noida News : नोएडा में बढ़ते वायु प्रदूषण और खतरनाक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) से राहत पाने के लिए गजब का आइडिया तलाशा है. सेक्टर-100 में स्थित लोटस बुलवर्ड सोसायटी ने प्रदूषण से निपटने के लिए पानी के पाइप से आर्टिफिशियल बारिश की है. बुधवार की सुबह कर्मचारी सोसाइटी के अपार्टमेंट ब्लॉक की छत पर चढ़ गए और पाइपों से पानी छिड़कना शुरू कर दिया. यह पूरी तरह से ‘आर्टिफिशियल रेन’ नहीं थी, बल्कि पानी से फॉगिंग की गई थी. ताकि हवा में मौजूद कण और धूल को कम किया जा सके.
उल्टी दिशा में किया जाता है छिड़काव
बता दें कि आर्टिफिशियल रेन को क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) के रूप में जाना जाता है. इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस को रॉकेट या हवाई जहाज के माध्यम से बादलों में छोड़ा जाता है. जिस क्षेत्र में बारिश करवाई जानी चाहिए वहां पर हवाई जहाज से हवा की उल्टी दिशा में छिड़काव किया जाता है. बादल हवा से नमी सोखते हैं और इससे बारिश की बूंदें बनने लगती हैं. वहीं, कहां और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश की संभावना ज्यादा होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं.
मौसम पर निर्भर करती है कृत्रिम बारिश
हालांकि, मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की बारिश का असर साफ मौसम, बादल, हवा की दिशा और तापमान पर काफी निर्भर करता है. इसके अलावा मॉनसून से पहले और बाद में आर्टिफिशियल रेन कराना काफी आसान होता है क्योंकि बादलों में नमी ज्यादा होती है. लेकिन सर्दियों में नमी की काफी कमी होने के बाद क्लाउड सीडिंग उतनी जल्दी नहीं होती है. आर्टिफिशियल बारिश का उद्देश्य सिर्फ पॉल्यूशन को कम करने के लिए नहीं किया जाता है बल्कि आगे बुझाने और सूखे से बचाने के लिए भी किया जाता है.
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