International Men Day 2024: दुनियाभर में हर साल 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. आज हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बताएंगे, जिनका खतरा पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा है.
19 November, 2024
International Men Day 2024: हर साल दुनियाभर में 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद विश्व में पुरुषों के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक योगदान के प्रति आभार व्यक्त करना है. लेकिन पुरुषों के इस योगदान को तब और भी निखारा जा सकता है, जब वह सेहतमंद रहें. पिछले एक दशक के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष कई तरह की बीमारियों के तेजी से शिकार होते जा रहे हैं.
हालांकि लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से पुरुष और महिलाएं दोनों ही प्रभावित होते हैं. लेकिन कुछ ऐसी आदतें हैं जो पुरुष की सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं. आइए आज हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बताएंगे, जिनका खतरा पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा है.
हार्ट डिजीज
आज के समय की भागदौड़भरी लाइफ और काम के दबाव के चलते शारीरिक निष्क्रियता की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसकी वजह से पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, हाई बैड कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ गया है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो पुरुषों की कई खराब आदतों जैसे- धूम्रपान, शराब पीना और अनहेल्दी आहार का असर उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर आसानी से देखा जा रहा है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता भी काफी हद तक प्रभावित हो रही है.
डायबिटीज का खतरा
कई स्टडीज से पता चलता है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में टाइप-2 डायबिटीज के शिकार जल्दी हो जाते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह शरीर में अधिक फैट या पेट पर ज्यादा चर्बी जमा होना है. इसके अलावा स्टडी में यह भी पाया गया है कि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर भी टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ावा दे सकता है. इन दिनों पुरुषों में अधिक शारीरिक निष्क्रियता देखी जा रही है जो डायबिटीज और इससे जुड़ी जटिलताओं को पैदा कर सकता है.
मेंटल हेल्थ
हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो पुरुषों को अपनी मेंटल हेल्थ पर खासतौर पर ध्यान देने की जरूरत है. हाल ही के आंकड़ों के अनुसार, पुरुषों में सुसाइड के केस बढ़ते जा रहे हैं. इसके कारणों की बात करें तो उसमें से एक अपनी फीलिंग्स को दबाने की आदत हो सकती है. ऐसे में पुरुषों के लिए बेहतर होगा कि वो अपने दुख, गुस्से और रोने जैसी सामान्य भावनाओं को व्यक्त करने से बिल्कुल न हिचकें, क्योंकि ऐसा करने से चिंता और तनाव से विकारों को बढ़ावा मिलता है.
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