Home National मणिपुर के बाद सुलगेगा ये राज्य! अलगाववादियों ने दी हथियार उठाने की धमकी, टेंशन में सरकार

मणिपुर के बाद सुलगेगा ये राज्य! अलगाववादियों ने दी हथियार उठाने की धमकी, टेंशन में सरकार

by Divyansh Sharma
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Nagaland NSCN-IM Threaten Armed Violence After Manipur

Nagaland NSCN-IM Threaten Armed Violence: मणिपुर के पड़ोसी राज्य नगालैंड में एक गुट ने जंगलों में वापस जाकर हथियार उठाने की धमकी दे चुका है.

Nagaland NSCN-IM Threaten Armed Violence: 18 महीनों से जल रहे मणिपुर में एक बार फिर से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय एक्शन मोड में हैं.

इस बीच मणिपुर के पड़ोसी राज्य से भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है. मणिपुर के पड़ोसी राज्य नगालैंड में एक गुट ने जंगलों में वापस जाकर हथियार उठाने की धमकी दे दी है. इसे लेकर राज्य में तनाव बढ़ गया है.

NSCN-IM ने लीडर ने बयान जारी कर दी धमकी

बढ़ते तनाव को देखते हुए नगालैंड सरकार टेंशन में आ गई है. न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बढ़ते तनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और उपमुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और वाई पैटन के नेतृत्व में नगालैंड मंत्रिमंडल का एक प्रतिनिधिमंडल नगालैंड से दिल्ली के रवाना हो गया है.

प्रतिनिधिमंडल सोमवार (18 नवंबर) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर इस तनाव को कम करने की कोशिश करेगा. साथ ही चर्चा इस बात की भी है कि प्रतिनिधिमंडल NSCN-IM के प्रमुख सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है.

दरअसल, NSCN-IM यानी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड के इसाक-मुइवा गुट ने कुछ दिन पहले एक बयान जारी कर कहा है कि वह जंगलों में वापस लौट जाएंगे और फिर से भारत सरकार के खिलाफ हथियार उठाएंगे.

NSCN-IM के प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा ने अपने बयान में भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक समझौते के तहत हुए प्रमुख प्रावधानों के साथ-साथ नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता देने से जानबूझकर इन्कार कर रही है.

बता दें कि नागालैंड के पूर्व राज्यपाल आर.एन. रवि ने आखिरी बार साल 2015 में NSCN-IM के नेताओं से बातचीत कर समझौता कराया था.

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साल 2015 में भारत सरकार के साथ हुआ समझौता

दरअसल, साल 1997 से युद्ध विराम कायम रखने वाले NSCN-IM ने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

अब उन्होंने कहा है कि वह फ्रेमवर्क समझौते लेकर हुए घृणित विश्वासघात को लेकर नाखुश हैं. उन्होंने धमकी देते हुए कहा है कि अगला हिंसक टकराव पूरी तरह से भारत और उसके नेतृत्व की ओर से जानबूझकर विश्वासघात और प्रतिबद्धता के उल्लंघन के कारण होगा.

साथ ही उन्होंने दावा किया है कि NSCN-IM नगाओं के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता, क्षेत्र, ध्वज, संविधान और स्वतंत्रता की रक्षा और सुरक्षा करेगा. चाहे कुछ भी हो जाए. साथ ही इस मुद्दे पर NSCN-IM तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग कर रहा है.

बता दें कि NSCN का गठन 1 जनवरी, 1980 को इसाक चिसी स्वू, थुइंगलेंग मुइवा और एसएस खापलांग ने मिलकर की थी. यह संगठन शिलांग समझौते को विरोध कर रहा था.

बाद में भारत सरकार के साथ बातचीत के दौरान संगठन में मतभेद हो गए और संगठन खापलांग के नेतृत्व वाला NSCN-K और इसाक चिसी स्वू और थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाला NSCN-IM में विभाजित हो गया.

SATP यानी साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक यह संगठन माओ त्से तुंग की विचारधारा के आधार पर ग्रेटर नागालैंड या नागालिम की स्थापना की मांग कर रहा है. साथ ही मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों को एक कर 1.2 करोड़ नगाओं को एकजुट किया जाए.

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