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भारत में Cyber Crime का बढ़ता जाल! जानें इस अपराध से जुड़ी हर एक बात

by Divyansh Sharma
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Introduction of Cyber Crime In India

Cyber Crime: इस समय अखबारों में डिजिटल अरेस्ट और साइबर क्राइम की खबरों को प्रमुखता से दिखाया जा रहा है. विशिंग, फिशिंग और डिजिटल अरेस्ट जैसे शब्द हर ओर सुनने को मिल रहे हैं. सिर्फ आम लोग ही नहीं टीचर से लेकर मैनेजर, प्रोफेसर, इंजीनियर, डॉक्टर जैसे प्रोफेशनल्स के साथ ही पुलिस तक Cyber Crime में फंसते जा रहे हैं. इस पोस्ट में हम साइबर क्राइम पर बात करेंगे और और आपको यह भी बताएंगे कि कैसे आप Cyber Crime का शिकार होने से बच सकते हैं.

Table Of Content

• किस तरह हो रहे हैं साइबर क्राइम ?
• क्या कहते हैं साइबर क्राइम के आंकड़े ?
• कौन है इन साइबर क्राइम के पीछे ?
• क्या कहता है साइबर क्राइम इंडेक्स ?
• कितना गंभीर हो सकता है साइबर क्राइम ?
• क्यों बढ़ रहे हैं हैं साइबर क्राइम ?
• साइबर क्राइम का शिकार होने से कैसे बच सकते हैं आप ?

किस तरह हो रहे हैं साइबर क्राइम ?

डिजिटल अरेस्ट: डिजिटल अरेस्ट अब तक का सबसे नया क्राइम है. इसमें अपराधी अनजान नंबरों से फोन या मैसेज कर पीड़ित को बताते हैं कि वह किसी बड़े अपराध में फंस गया है. जैसे- चाइल्ड पोर्नोग्राफी, नशीली दवाओं के कारोबार, आतंकियों की फंडिंग, काला धन को सफेद करना. ऐसे में जब लोग डर जाते हैं, तब अपराधी इसका फायदा उठाकर मेहनत की कमाई को अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं. वहीं, लोगों को जब तक पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

फिशिंग: हाल के समय में फिशिंग हमले भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें घोटालेबाज नामी कंपनियों से फर्जी ईमेल लोगों को भेजते हैं. इसमें धोखाधड़ी के लिए लिंक भी लगाया जाता है. जैसे ही कोई भी नकली वेबसाइटों के लिंक पर क्लिक करता है, वैसे ही लॉगिन क्रेडेंशियल या व्यक्तिगत डेटा (क्रेडिट-डेबिट कार्ड, यूजर नेम-पासवर्ड, बैंकिंग डिटेल्स) कैप्चर कर लिए जाते हैं. बाद में धोखाधड़ी की जाती है.

लॉटरी: इस तरह के घोटालों में पीड़ितों को दावा किया जाता है कि उसने लॉटरी जीती है. इसमें खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय लॉटरी का जिक्र किया जाता है. लॉटरी के पैसे और सामानों को घर तक पहुंचाने के लिए पीड़ितों से प्रोसेसिंग फीस की मांग की जाती है. जैसे ही पीड़ित प्रोसेसिंग फीस पे कर देते हैं, वैसे ही घोटालेबाज पैसे लेकर उनके पहुंच से बाहर हो जाते हैं.

भावनात्मक हेरफेर घोटाले: इस क्राइम में अपराधी डेटिंग ऐप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी नकली ID बनाते हैं. फिर वह लोगों से लंबी बातचीत कर भावनात्मक संबंध बनाते हैं. इसके बाद वह असली खेल शुरू करते हैं. वह खुद को दिखाते हैं कि वह किसी बड़ी मुसीबत में हैं और उन्हें तत्काल वित्तीय मदद की जरूरत है. जैसे ही पीड़ित पैसे भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं, वह उसने क्रिप्टो करेंसी में भुगतान करने को कहते हैं.

नौकरी घोटाले: इसमें अपराधी नौकरी चाहने वाले युवाओं को निशाना बनाते हैं. वह वैध जॉब पोर्टल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर असली कंपनियों के लिए फर्जी जॉब लिस्टिंग करते हैं. इसके बाद जैसे ही कोई इस पर आवेदन करता है, तो उससे लिंक के जरिए आवेदन शुल्क, ट्रेनिंग या बैकग्राउंड चेक के लिए पैसों की मांग की जाती है. जब पैसे मिल जाते हैं, तो अपराधी उनकी पहुंच से बाहर हो जाते हैं.

टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर धोखाधड़ी: इसमें पीड़ितों को टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर क्राइम किया जाता है. इसमें घोटालेबाज किसी कंपनी के नाम टेक्निकल सपोर्ट देने का दावा कर उनके कंप्यूटर में वायरस डाल देते हैं और बाद में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करते हैं.

निवेश के नाम पर घोटाला: यह भी एक तरह का नया क्राइम है. इसमें घोटालेबाज स्टॉक और अन्य जगहों पर निवेश करने के बदले में बड़ी रिटर्न का वादा करते है. पैसे मिलने के बाद वह लोगों की पहुंच से बाहर हो जाते हैं.

कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) के नाम पर घोटाले: बढ़ते ई-कॉमर्स के चलन के कारण कैश-ऑन-डिलीवरी के नाम पर Cyber Crime बढ़ता ही जा रहा है. इसमें घोटालेबाज नकली ऑनलाइन स्टोर बनाते हैं और सामानों को COD भेजते हैं. इसमें पीड़ितों को नकली सामान मिलता है या अलग सामान मिलता है, जो उन्होंने ऑर्डर ही नहीं किया होता है.

नकली चैरिटी: दुनियाभर में नकली चैरिटी के नाम पर भी घोटाले बढ़ रहे हैं. इसमें घोटालेबाज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स प्रोफाइल बनाकर आपदा राहत या स्वास्थ्य पहल की आड़ में पैसे में मांग कर धोखाधड़ी कर रहे हैं.

गलत तरीके से पैसे ट्रांसफर करने के घोटाले: इस Cyber Crime में फोन कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया के जरिए अपराधी पीड़ितों से संपर्क करते हैं और दावा करते हैं कि गलती से उनके खाते में ट्रांसफर हो गए हैं. इसके साथ ही वह नकली बैंक स्टेटमेंट या ट्रांजेक्शन दिखाकर पैसे वापस मांगते हैं.

क्या कहते हैं साइबर क्राइम के आंकड़े ?

सरकारी आंकड़ों की माने तो इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल तक डिजिटल अरेस्ट की आड़ में भारतीयों से करीब 120.30 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हो चुकी है. जनवरी से अप्रैल के बीच ही लगभग Cyber Crime को लेकर 7.4 लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. पिछले साल यह आंकड़ा 15.56 लाख ही था, वहीं साल 2021 में 4.52 लाख और 2022 में 9.66 लाख था. ऐसे में देखा जाए तो इस तरह के अपराध का ग्राफ लगातार उपर ही उठता जा रहा है. साइबर विंग से जुड़े सूत्रों के अनुसार भारत में पूरे एक दिन के दौरान करीब 6 करोड़ रुपये की ठगी की जा रही है. यह आंकड़े सभी भारतीयों को हैरान और परेशान करने वाले हैं. सभी को मिलाकर देखा जाए तो इस साल केवल 10 महीनों में ही 2140 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सिर्फ Cyber Crime के जरिए अंजाम दी गई है. लूटे गए करोड़ों रुपये ये आम लोगों की पूंजी है, जिसे किसी अपराधी या गिरोह ने हड़प लिया है.

कौन है इन साइबर क्राइम के पीछे ?

अब आपको बताते हैं कि इस तरह के Cyber Crime को आखिर अंजाम कौन दे रहा है. पहले तो इस तरह के Cyber Crime में देश के अंदर बैठे हुए अपराधी और गिरोह बड़े पैमाने पर शामिल हैं. अपराधी और गिरोह मेहनत से कमाकर इकट्ठा करने वाले मासूम लोगों को निशाना बना रहे हैं. इसके अलावा इस तरह अपराधों में बड़ा विदेशी एंगल भी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीयों से हो रही ठगी के मामले में कंबोडिया, म्यामांर, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे देशों का भी नाम शामिल है. इन देशों में भी बैठे हुए अपराधी और गिरोह बड़े पैमाने पर भारतीयों को निशाना बना रहे हैं. यही नहीं, इसमें नई तकनीक AI यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का बहुत बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है.

क्या कहता है साइबर क्राइम इंडेक्स ?

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की ओर से जारी Cyber Crime Index खतरे के स्तर के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है. तीन साल के सोध के बाद जारी साइबर क्राइम इंडेक्स में भारत को दसवें नंबर पर रखा गया है. रूस इस लिस्ट में सबसे टॉप पर है. इसमें तकनीकी उत्पाद/सेवाएं (जैसे मैलवेयर कोडिंग, बॉटनेट एक्सेस), हमले और जबरन वसूली (रैनसमवेयर), डेटा की चोरी (जैसे हैकिंग, फिशिंग, खाते से छेड़छाड़, क्रेडिट कार्ड से छेड़छाड़), ऑनलाइन घोटाले जैसे अपराध शामिल हैं.

यह भी पढ़ें: आम लोग ही नहीं सरकारी अफसर भी हुए धोखाधड़ी का शिकार, जानें कैसे फंसा रहे कॉलर ID ऐप्स

कितना गंभीर हो सकता है साइबर क्राइम ?

साइबर क्राइम कितना गंभीर हो सकता है, इसका अंदाजा कई रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. कई मामलों में किशोर बच्चे-बच्चियों का ऑनलाइन चैटिंग एप के जरिए बड़े पैमाने पर ब्रेनवॉश किया जा रहा है. किशोर बच्चे-बच्चियों की उनकी अश्लील तस्वीरों को पॉर्न मार्केट में बेचा जा रहा है. वहीं, अश्लील तस्वीरों के जरिए पीड़ित बच्चों के माता-पिता को भी ब्लैकमेल कर ठगी की जा रही है. अश्लील वीडियो जैसे तरीकों से ठगी करने के वारदातों में तेजी आई है. कई मामलों में लोगों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाए हैं.

The rise of cyber crime in India is a growing concern. In this article we will tell you in detail what cyber crime is and how we can prevent it.

क्यों बढ़ रहे हैं हैं साइबर क्राइम ?

देश में करोड़ों लोगों के साथ खरबों रुपयों के हेरफेर हो रहे हैं. कई मामलों में लोग सामाजिक दबाव, अपराधियों के डर और बेइज्जती के कारण पुलिस में रिपोर्ट कराने से हिचकिचाते हैं. लोगों का डर ही साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों के हौसले को बुलंद कर रहा है. वहीं, देश में साइबर क्राइम रोकने के लिए प्रशिक्षित पुलिस की भी भारी कमी है. देश में साइबर अपराधों के सभी मामलों में FIR दर्ज नहीं होते हैं. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस जो FIR दर्ज करती है, उसका ब्योरा NCRB के पास होता है. अगर साइबर क्राइम के सभी मामलों में FIR दर्ज हो तो इस तरह के अपराध के विकरालता का पता चलेगा और उसके समाधान के प्रयास भी तेज हो जाएंगे. इस तरह के मामलों में मेटा, गूगल या X जैसी कंपनियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए. सरकार की कड़ी फटकार के बाद भी मेटा, गूगल या X जैसी कंपनियां Cyber Crime में जानकारी शेयर करने में देरी करती हैं. इससे भी साइबर फ्रॉड को रोकने में दिक्कत होती है. डेटा सुरक्षा कानून संसद से पारित होने के बावजूद इससे जुड़े नियम भारत में अभी तक लागू नहीं हो पाए हैं. इसके कारण लोगों का निजी डेटा कौड़ियों में नीलाम हो रहा है. ऐसे में साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं को बड़े पैमाने पर अंजाम दे रहे हैं. डेटा सुरक्षा के नियमों को कड़ा किया जाए और डेटा की नीलामी-बिक्री पर रोक लगे, तो साइबर अपराधों में भारी कमी आ सकती है.

साइबर क्राइम का शिकार होने से कैसे बच सकते हैं आप ?

Cyber Crime से बचने के लिए वेब ब्राउजर के सर्वर में सेव होने वाली हिस्ट्री को समय पर डिलीट करते रहें. फिशिंग से बचने के लिए किसी भी कंपनी के सही वेबसाइट का ही प्रयोग करें. सर्च इंजन पर किसी भी चीज का हेल्प लाइन नंबर खोजने से बचे या ऑफिशियल वेबसाइट से ही नंबर निकालें. लुभावने मेल के जाल में फंसने को खुद को बचाएं. अपराध का शिकार होने से बचने के लिए मोबाइल ऐप से लोन के चक्कर में न फंसे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से ऑथेंटिक ऐप से लोन लें. इसके अलावा अपराध का शिकार होने से बचने के लिए ब्राउजिंग सेशन के दौरान संदेहास्पद पॉप अप से भी सतर्क रहना बहुत जरूरी है. बता दें भारत में कभी किसी को डिजिटल अरेस्ट नहीं किया जाता है.

यह भी पढ़ें: Digital Arrest के जाल में फंसी प्रोफेसर, गंवा दिए 75 लाख रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

Conclusion

भारत में Cyber Crime का शिकार होने मुख्य कारण जागरूकता की कमी, डर, सतर्क न रहना और कुछ मामलों में भ्रष्टाचार का शामिल होना है. ऐसे में पुख्ता कानून और प्रशिक्षित मानव संसाधन का अभाव के कारण साइबर क्राइम को रोकना असंभव सा लग रहा है. लेकिन हम बिना डरे अपराधियों का सामना करेंगे तभी इसे काफी हद तक रोक पाएंगे और अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी को बचा पाएंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में ही इसे लेकर अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में इससे के उपाय बताते हुए कहा था कि रुको, सोचो, और फिर एक्शन लें. यानी इस तरह के मामले में पहले घबराएं नहीं और खुद को शांत रखने की कोशिश करें.

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