AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है.
AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि चार जजों ने मिलकर एक राय बनाई है और उसके बाद इस फैसले को लिया गया है. मैंने बहुमत लिखा है, जबकि 3 जजों की राय अलग हैं, उन्होंने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस शर्मा ने इस पर अपनी असहमति लिखी है. ऐसे में यह फैसला 4:3 है.
एक फरवरी को फैसला रख लिया था सुरक्षित
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को संविधान 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा पहले से मिला हुआ है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिन तक दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
1875 में हुई थी स्थापना
एक फरवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि AMU एक्ट में 1981 का संशोधन है, जिसने इसे अल्पसंख्यक दर्जा दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक्ट 1920 में एक शिक्षण और आवासीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की बात कही गई है, जबकि 1952 के संशोधन में AMU में मुस्लिम छात्रों के लिए अनिवार्य धार्मिक शिक्षा को खत्म करने की बात कही गई है. AMU की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई थी. उस समय इसकी स्थापना मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में हुई थी. लेकिन साल 1920 में इसे एक विश्वविद्यालय में बदल दिया गया.
यह भी पढ़ें : डीवाई चंद्रचूड़ ने SC के नियमों में किया बड़ा बदलाव, अब गर्मी की छुट्टियों में भी लगेगी अदालत