Baramati Assembly Seat: बारामती सीट पर NCP- शरद गुट ने शरद पवार के पोते युगेंद्र को प्रत्याशी घोषित किया है. NCP-अजीत गुट की ओर से खुद अजीत पवार चुनाव लड़ रहे हैं.
Baramati Assembly Seat: महाराष्ट्र चुनाव में कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. इसमें से ही एक विधानसभा सीट है बारामती. इस सीट पर परिवार के दो सदस्य आमने-सामने हैं.
इस सीट पर NCP- शरद गुट की ओर से शरद पवार के पोते युगेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया है. वहीं, NCP-अजीत गुट की ओर से खुद अजीत पवार चुनाव लड़ रहे हैं.
ऐसे में परिवार के दो सदस्यों के एक सीट पर चुनाव लड़ने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. इसी बात को लेकर NCP नेता अजीत पवार भावुक हो गए हैं.
Baramati Assembly Seat: चाचा पर भी गलती का लगाया आरोप
बता दें कि बारामती विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में युगेंद्र पवार और उनके चाचा अजीत पवार के बीच सीधा मुकाबला है.
दोनों ही प्रत्याशियों ने अपना-अपना नामांकन भर दिया है. अजीत पवार ने नामांकन दाखिल करने से पहले एक रैली को संबोधित किया.
रैली में उन्होंने आरोप लगाया कि शरद पवार ने परिवार में फूट डाली है. अजीत पवार ने कहा कि जानबूझकर उनके खिलाफ शरद पवार ने प्रत्याशी घोषित किया है.
उन्होंने कहा कि पहले मैंने गलती की, लेकिन अब दूसरे लोग भी गलती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति को इतने निचले स्तर पर नहीं लाया जाना चाहिए.
बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने शरद पवार की बेटी और अपनी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को टिकट दिया था, जिसमें सुनेत्रा पवार चुनाव हार गई. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा था कि उनसे गलती हो गई थी.
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परिवार को तोड़ने का लगाया आरोप
रैली में अजीत पवार ने बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि परिवार की कई पीढ़ियों को एक होने में समय लगता है और परिवार को तोड़ने में एक पल भी नहीं लगता है.
वहीं, दूसरी ओर बारामती विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करने से पहले युगेंद्र पवार के साथ उनके दादा शरद पवार और उनकी चाची और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले साथ में मौजूद रही.
नामांकन दाखिल करने के दौरान युगेंद्र पवार ने कहा कि उन्हें अपने दादा शरद पवार का सपोर्ट है और वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए लगन के साथ काम करेंगे.
युगेंद्र पवार ने कहा कि सबसे बड़ा चैलेंज यह नहीं है कि मेरे आगे कौन है, मेरे लिए यह ज्यादा मायने रखता है कि मेरे पीछे शरद पवार साहब जैसे नेता खड़े हैं और सबसे ज्यादा राजनीति का अनुभव देश में किसी को नहीं होगा.
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