Narendra Modi Russia Visit: बता दें कि BRICS ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका देशों का संक्षिप्त रूप है. यह उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है.
Narendra Modi Russia Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 से 23 अक्टूबर को फिर से रूस की यात्रा करने वाले हैं. उनकी यात्रा का उद्देश्य है रूस की अध्यक्षता में होने वाली ब्रिक्स यानी BRICS (Brazil, Russia, India, China, and South Africa) के शिखर सम्मेलन में भाग लेना.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के निमंत्रण पर वह रूस के कजान (Kazan) में होने वाले शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) में शिरकत करेंगे.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर BRICS क्या है और यह संगठन काम कैसे करता है.
Narendra Modi Russia Visit: उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह
बता दें कि BRICS ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका देशों का संक्षिप्त रूप है. यह उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है.
इस संगठन को लेकर दावा किया जाता है कि BRICS देश अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एक साथ आए हैं.
BRICS की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार इस ब्लॉक की स्थापना 2009 में एक अनौपचारिक क्लब के रूप में की गई थी. BRICS का उद्देश्य था कि इसके सदस्य अपना प्रभाव और आर्थिक सहयोग के लिए एक मंच पर साथ आ सके.
बता दें कि BRICS संयुक्त राष्ट्र जैसा कोई बहुपक्षीय संगठन नहीं है. इसे पहले BRIC (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) कहा जाता था. बाद में साल 2010 में चीन के निमंत्रण पर दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ और इसे BRICS कहा गया.
BRIC थीसिस में पहली बार हुआ जिक्र
बता दें कि BRIC शब्द का पहली बार प्रयोग साल 2001 में अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के तत्कालीन मुख्य अर्थशास्त्री जिम ओ नील की ओर से एक शोध पत्र ‘BRIC थीसिस’ में किया गया था.
इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन की विकास क्षमता पर विस्तार चर्चा की गई थी. उन्होंने इस बात का दावा किया था कि ब्रिक देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत और चीन की विकास क्षमता G7 के देशों की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को चुनौती देने के लिए तैयार थी.
बता दें कि रूस ने पहली बार साल 2009 में BRIC देशों की पहली बार बैठक बुलाई. एक साल बाद दक्षिण अफ्रीका को शामिल होते ही पांच देशों का यह समूह अभी तक अस्तित्व में है.
अब जानकारी इस बात की भी है कि इसमें जुड़ने के लिए पाकिस्तान और तुर्की जैसे 34 देशों ने आवेदन दिया है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक-चौथाई हिस्सा BRICS के पास
BRIC सिद्धांत के बाद भी गोल्डमैन सैक्स ने कुछ देशों के आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए साल 2015 में अपना BRIC फंड बंद कर दिया. इसे लेकर BRIC पर कई तरह के सवाल भी उठे.
हालांकि, इसके बाद भी BRICS का विस्तार होता रहा. बता दें कि फिलहाल विश्व की 40% से अधिक जनसंख्या के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक-चौथाई हिस्सा BRICS के पास है.
साल 2023 के BRICS शिखर सम्मेलन में बड़ा विस्तार देखने को मिला. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को निमंत्रण दिया गया.
बता दें कि BRICS का पहला फोकस आर्थिक सहयोग को मजबूत करना, बहुपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और अपने सदस्यों के बीच विकास को बढ़ावा देना है.
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डॉलर की जगह अलग मुद्रा तंत्र को बनाने पर जोर
BRICS के लिए सबसे बड़ा चर्चा का विषय है एक जैसी मुद्रा. जानकारी के मुताबिक सभी देश आर्थिक एकीकरण को बढ़ाने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए अमेरिकी डॉलर की जगह अलग मुद्रा तंत्र को बनाने पर जोर दे रहे हैं.
दावा किया जा रहा है कि एक समान मुद्रा से लेन-देन की लागत कम हो सकती है. रूस और चीन सहमति जता दी है. गौरतलब है कि, 40 से अधिक देश इस समूह में शामिल होने इच्छा जताई है.
दावा किया जा रहा है कि कई देश BRICS को पश्चिमी प्रभुत्व वाले वैश्विक संगठनों के विकल्प के रूप में देखते रहे हैं. बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पुष्टि कर दी है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में 35 नए देश भाग लेंगे.
फिलहाल BRICS में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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