Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी व्यक्तिगत कानूनों पर लागू होगा.
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट में देश में बढ़ते बाल विवाह के मामलों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई चल रही है. 10 जुलाई की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं, इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी व्यक्तिगत कानूनों पर लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने देश में बाल विवाह की रोकथाम पर कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की लगाई फटकार
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि बाल विवाह में शामिल लोगों पर केस करने से समस्या का समाधान नहीं होगा. NGO का आरोप है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को शब्दशः लागू नहीं किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण जैसे विशिष्ट कार्यक्रमों पर सवाल उठाया था. कोर्ट ने कहा कि आखिर सरकार कर क्या रही है. कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा बाल विवाद के मामले देखने को मिल रहे हैं.
असम सरकार ने उठाए अहम कदम
बता दें कि असम सरकार ने बाल विवाह को रोकने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिससे ऐसे मामलों में 81% कमी आई है. इसी साल असम सरकार ने मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को हटाकर अनिवार्य रजिस्ट्रेशन लॉ को लाने के लिए एक बिल को मंजूरी दी थी. बता दें कि 1935 के कानून के तहत पहले विशेष परिस्थितियों में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी. लेकिन इस कानून को लाने के बाद असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया गया.
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