Comparison of Iran-Israel Military: ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि अगर दोनों देशों के बीच सीधा युद्ध छिड़ता है, तो कौन किस पर भारी पड़ेगा और दोनों देशों की सैन्य ताकत कितनी है?
Comparison of Iran-Israel Military: ईरान ने हमास के प्रमुख इस्माइल हानियेह, हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह और IRGC (Islamic Revolutionary Guard Corps) के कमांडर अब्बास नीलफोरुशान की हत्या के जवाब में इजराइल पर 1 अक्टूबर को बड़ा हमला किया. इस हमले के बाद से इजराइल (Middle East Tension) जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.
वहीं, ईरान ने भी साफ तौर पर कहा है कि अगर इजराइल ने फिर से कोई हिमाकत की तो हम इस बार करारा हमला करेंगे. ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि अगर दोनों देशों के बीच सीधा युद्ध छिड़ता है, तो कौन किस पर भारी पड़ेगा और दोनों देशों की सैन्य ताकत कितनी है?
इजराइल की तुलना में 9 गुना अधिक जनसंख्या
दुनिया के हर देश के सैन्य ताकत की रैंकिंग करने वाली वेबसाइट ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक इजराइल की तुलना में नौ गुना अधिक जनसंख्या तथा काफी बड़ी सेना के कारण ईरान को बढ़त हासिल है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के अनुसार ईरान को सैनिकों तथा जमीन और समुद्री हथियारों के मामले में बढ़त हासिल है.
इजराइल के पास लगभग 1 लाख 70 हजार सक्रिय सैन्यकर्मी और 4 लाख 65 हजार रिजर्व सैनिक हैं. इसकी तुलना में ईरान के पास 6 लाख सैन्यकर्मी, 3 लाख 50 हजार रिजर्व सैनिक और 2 लाख 20 हजार अर्धसैनिक बल हैं. दोनों देशों की जनसंख्या की बात करें तो ईरान की जनसंख्या लगभग 9 करोड़ के आस-पास है. वहीं, इजराइल की जनसंख्या 1 करोड़ के करीब है. इससे ईरान को जंग की स्थिति में फायदा मिल सकता है.
इस मामले में ईरान को मिल सकती है बढ़त
जानकारी के मुताबिक टैंकों, तोपों और बख्तरबंद वाहनों की संख्या के मामले में भी ईरान को बढ़त मिल सकती है. हालांकि, कुछ अन्य स्टडी में दावा किया गया है कि दशकों से जारी अंतरराराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने ईरान को नई टेक्नोलॉजी वाले सैन्य उपकरणों से काफी हद तक वंचित कर दिया है.
दावा इस बात का भी है कि ईरान की सशस्त्र सेनाएं अनुमान से बड़ी हैं, लेकिन वह तेजी से पुराने होते जा रहे उपकरणों के भंडार से जूझ रही हैं. वहीं, दूसरी ओर से इजराइल की वायु सेना विश्व की सबसे हाईटेक वायु सेनाओं में से एक मानी जाती है. ईरानी वायु सेना में 37 हजार सैनिक हैं, लेकिन उसके पास उड़ाने के लिए कुछ दर्जन ही विमान हैं. इनमें रूसी जेट और 1979 की ईरानी क्रांति से पहले खरीदे गए पुराने अमेरिकी मॉडल के फाइटर जेट्स शामिल हैं.
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दोनों देशों के बीच में हैं इराक और जॉर्डन
कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान के पास 9 F-4 और F-5 फाइटर जेट्स का एक स्क्वाड्रन, कुछ F-7 और F-14 फाइटर जेट्स के साथ रूसी सुखोई-24 के साथ मिग-29 लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन है. वहीं, दूसरी ओर इजराइल के पास 100 से ज्यादा F-15, F-16 और F-35 जेट हैं. बता दें कि दोनों देशों के बीच 1500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी है.
दोनों देशों के बीच इराक और जॉर्डन भी हैं. ऐसे में ईरान-इजराइल के बीच जमीनी आक्रमण की संभावना नहीं है. दोनों देशों को मिसाइलों पर निर्भर रहना पड़ेगा. जानकारी के मुताबिक ईरान के पास कई तरह की मिसाइलें हैं. इसमें हजारों बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं. हालांकि, इजराइल के पास दुनिया का सबसे हाई टेक आयरन डोम जैसा वायु रक्षा प्रणाली और मिसाइलों का जखीरा है.
S-300 और एक S-400 है ईरान के पास
इजराइल के पास मिसाइल रक्षा की दो और परतें हैं. इसमें पहला है डेविड स्लिंग, जो कम दूरी की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का मुकाबला कर सकती है. एरो-2 और एरो-3 इंटरसेप्टर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकती है. वहीं ईरान के पास इस तरह का कोई वायु रक्षा प्रणाली नहीं है.
ईरान के पास रूसी S-300 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और एक S-400 होने का दावा किया जाता है. ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी चिंता कारण बन सकता है, लेकिन माना जाता है कि फिलहाल उसके पास ऐसे हथियार नहीं हैं. माना जाता है कि इजराइल के पास भी ऐसे हथियार हैं, लेकिन वह इनके अस्तित्व को न तो स्वीकार करता है और न ही इससे इन्कार करता है. इजराइल के साथ अमेरिका जैसे शक्तिशाली दोस्त भी हैं.
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