Israel-Iran Tension: विदेशी मामलों की जानकारों और रक्षा विशेषकों का दावा है कि यदि ईरान और इजराइल के बीच कथित तौर पर जारी युद्ध लंबा चला तो इसके काफी ज्यादा असर देखने को मिलेंगे.
Israel-Iran Tension: इजराइल और हमास का लगभग 1 साल पहले शुरू हुआ कथित तौर पर जारी युद्ध का दायरा अब बढ़ता ही जा रहा है. अब इसमें खुलकर ईरान शामिल हो गया है. इस कड़ी में ईरान ने मंगलवार की देर रात करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें इजराइल के सैन्य ठिकानों पर दांगीं. इस बीच फिलिस्तीन के बाद लेबनान और इराक भी इजराइल के खिलाफ जंग में शामिल हो गए हैं.
युद्ध का असर बढ़ते ही मिडिल ईस्ट के देश और दुनिया के बाकी हिस्सों में भी दिखने लगा है. युद्ध का प्रभाव की कड़ी में फिलहाल क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ गई है. भारत भी इस युद्ध से अछूता नहीं दिख रहा है. बताया जा रहा है कि जल्द ही भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिले तो हैरान नहीं होना चाहिए.
कई देशों को प्रभावित करेगा संघर्ष
इस मुद्दे पर रक्षा मामलों के जानकार पूर्व विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी का कहना है कि जब भी कुछ देशों के बीच युद्ध होता है तो उसका खामियाजा आसपास के देश और व्यापक तौर पर पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है. इससे बिजनेस कॉरिडोर प्रभावित भी होते हैं. यह युद्ध अधिक समय तक चला तो समुद्री, वायु और सड़क परिवहन से होने वाला कारोबार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई देशों को प्रभावित करेगा.
3 डाइमेंशनल में बदल रही दुनिया
वहीं, विदेश मामलों की जानकारी रोविन्द्र सचदेवा ने कहा कि कोविड के बाद से रूस-यूक्रेन के वार से एक तरह से दुनिया में नया पूरा वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है । उन्होंने कहां कि जो समीकरण बन रहे हैं, कुछ देश पार्टनरशिप दोस्ती करेंगे और कुछ दुश्मनी करेंगे. आज की दुनिया 3 डाइमेंशनल में बदल रही है. इस युद्ध में भारत का भी एक रोल हैवी हो गया है. हमारी इकोनॉमी दुनिया के नंबर वन पापुलेशन है और डेमोक्रेसी है.
भारत निभा सकता है अहम भूमिका
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि हम सबको चिंता है, परंतु चिंता के साथ हम बाकी देशों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं. इसका मतलब यह हुआ कि भारत इस समय अलग-अलग देशों से बात भी कर रहा है. इस मुद्दे को लेकर के अब वह क्या बातें हो रही हैं? किस तरह वह बातें जा रही हैं? वह कह नहीं सकते. भारत इस समय एक थोड़ा प्रोएक्टिव रोल मेरे हिसाब से शुरू कर रहा है. रोविन्द्र सचदेवा का कहना है कि जयशंकर की स्टेटमेंट है तो मेरे विचार से उसको ऐसे देखा जा सकता है कि इंडिया अब सीरियसली देख रहा है कि इस गाजा युद्ध में भी भारत किस तरह की भूमिका निभा सकता है.
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संकट से भारत नहीं रहेगा अछूता
वहीं, UK में रहे पूर्व राजनयिक अशोक साजनर का कहना है कि नॉर्थ ईस्ट में चल रही युद्ध का असर भारत पर भी पड़ेगा भारत से अछूता नहीं रह सकता है. उन्होंने कहा कि यह युद्ध अभी शांत होता नहीं दिख रहा है जिससे भविष्य में खतरा और गहराता जा रहा है. अशोक साजनर ने बताया कि मेरी लिस्ट में युद्ध की वजह से भारत का कारोबार जो कि कई मुस्लिम देशों में संचालित हो रहा है, वह भी प्रभावित होगा. भारत के रहने वाले लगभग 90 लाख लोग भी प्रभावित होंगे. G – 20 में जी बिजनेस कॉरिडोर के बनाए जाने की बात थी वह भी ठहर जाएगा. पावर एनर्जी का असर भी भारत सही कई देशों पर दिखाई पड़ेगा.
रूस और चीन भी आएंगे युद्ध में !
उधर, गाजा युद्ध में इजराइल के विरोध में ईरान और लेबनान के आने के बाद से विश्व के देश लगभग दो भागों में बटते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, इस माहौल में भारत से ही कई देश अपने आप को न्यूट्रल किए हुए हैं. इतना ही नहीं कई मुस्लिम राष्ट्र भी इस पूरे मामले में किनारा किए हुए हैं. गाजा के युद्ध के बाद इतना तो तय है कि विश्व के किसी देश में आंशिक तो कहीं ज्यादा असर दिखाई पड़ेगा. इजराइल के पक्ष में अमेरिका और नाटो देशों के खुलकर सामने आने के बाद रूस और चीन भी पर्दे के पीछे से कहीं ना कहीं ईरान लेबनान और फिलीस्तीन के साथ आ चुके हैं.
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