कैसे वेलम्मल एजूकेशन ट्रस्ट ने शतरंज में खिलाड़ियों को बनाया ग्रैंडमास्टर?

हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हाल में हुए शतरंज ओलंपियाड में भारत ने इतिहास रच दिया है.

शतरंज ओलंपियाड में भारत का डंका

टूर्नामेंट के 45वें एडिशन में पुरुष और महिला दोनों टीनों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता.

पुरुष-महिला टीमों ने जीता गोल्ड

खास बात यह है कि रमेशबाबू प्रज्ञानानंद समेत शतरंज के कई चैंपियन एक ही स्कूल वेलम्मल एजूकेशन ट्रस्ट से आते हैं.

ट्रस्ट के पूर्व छात्र बने चैंपियन

वेलम्मल की 15 साल की जर्नी में शतरंज सीखने के साथ-साथ पढ़ाई-लिखाई भी शामिल है.

15 साल पहले हुई स्थापना

यहां फ्री एजूकेशन, फाइनेंशियल हेल्प समेत कई तरह की मदद दी जाती है.

फ्री एजूकेशन-फाइनेंशियल हेल्प

वेलम्मल एजूकेशन ट्रस्ट से शतरंज के नौ ग्रैंडमास्टर निकले हैं. इनमें बी. अधिबन और कार्तिकेयन मुरली शामिल हैं.

नौ ग्रैंडमास्टर दिए

एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज स्पोर्ट्स के लिए वेलम्मल ने दो करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी है.

दो करोड़ की स्कॉलरशिप

वेलम्मल में शतरंज की चालें सिखाने के अलावा पढ़ाई पर भी खासा जोर दिया जाता है.

पढ़ाई पर भी जोर