India America Relation: अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा (Richard Verma) ने कहा कि दोनों देशों को अब इस बात पर अधिक जोर देना है कि आगे के लिए कैसे एक साथ काम करना है.
India America Relation: भारत के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका का बड़ा बयान सामने आया है. जो बाइडेन प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका-भारत संबंध ठोस नींव और उज्ज्वल भविष्य के साथ नये युग में प्रवेश कर चुके हैं.
अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा (Richard Verma) ने कहा कि दोनों देशों को अब इस बात पर अधिक जोर देना है कि आगे के लिए कैसे एक साथ काम करना है और दोनों देश आगे आने वाले वैश्विक खतरों और अवसरों का आकलन कैसे करते हैं.
‘मजबूत और प्रभावशाली हो सकते हैं संबंध’
अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा ने ‘द यूनाइटेड स्टेट्स एंड इंडिया: माइलस्टोन्स रीच्ड एंड द पाथवे अहेड’ कार्यक्रम में कहा कि पिछले साढ़े तीन सालों में अमेरिका-भारत संबंध नये युग में प्रवेश कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य देश की तरह अमेरिका और भारत हर चीज पर सहमत नहीं हैं. फिर भी यह एक ऐसा युग है, जिसकी नींव ठोस है और आगे का रास्ता उज्ज्वल है.
अमेरिका के विदेश विभाग में अब तक के सबसे उच्च रैंकिंग वाले भारतीय अमेरिकी रिचर्ड वर्मा ने कहा कि विज्ञान और टेक्नोलॉजी, इंडो-पैसिफिक और विकास, रक्षा-व्यापार जैसे क्षेत्र हैं, जहां आने वाले वर्षों में दोनों देश एक साथ तेजी से काम कर सकते हैं. 2015 से 2017 तक भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्य करने वाले अधिकारी ने कहा कि मेरा मानना है कि यह संबंध आने वाले समय में बेहतर, मजबूत और प्रभावशाली हो सकते हैं.
‘भारत के लिए महत्वपूर्ण थी परमाणु डील’
रिचर्ड वर्मा ने कहा कि आगे बढ़ने का यह युग जारी रहेगा और इसे जारी रहना चाहिए शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि यह पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे, जिन्होंने हमेशा के लिए अमेरिका-भारत और अमेरिका-पाकिस्तान नीति को अलग कर दिया. अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौता जैसा कठिन नीतिगत निर्णय कोई नहीं हो सकता था.
उन्होंने कहा कि यह भारत को सुरक्षित और विश्वसनीय परमाणु ऊर्जा प्रदान करने और साथ ही भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अनुपालन और सुरक्षा व्यवस्था में लाने की एक ऐतिहासिक पहल थी. यह सौदा महत्वपूर्ण था क्योंकि यह दर्शाता है कि दोनों देश इतिहास के साथ झुकने और ऐसे असाधारण कदम उठाने के लिए तैयार थे, जिनका स्थायी प्रभाव होगा. उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से सच साबित हुआ. असैन्य परमाणु सहयोग ने रक्षा सहयोग में नई प्रगति की.
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‘एक-दूसरे को समझती हैं हमारी सेनाएं’
रिचर्ड वर्मा ने कहा कि भारत अमेरिका के एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में नामित किया जाना, अमेरिका-भारत संबंधों के लिए मजबूत द्विदलीय समर्थन का प्रमाण है. यह टैग किसी अन्य देश के पास नहीं है. हमारी दोनों सेनाएं एक-दूसरे को समझती हैं. अब हम एक साथ अभ्यास और प्रशिक्षण करते हैं. उन्होंने कहा कि इस रिश्ते में भी चुनौतियां हैं. मैं उन चुनौतियों के बारे में स्पष्ट रूप से जानता हूं.
उन्होंने कहा कि इनका हम सामना कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, मैं रूस-चीन सहयोग को बढ़ाने के बारे में चिंतित हूं, खासकर सुरक्षा क्षेत्र में. यह साझेदारी रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने गैरकानूनी युद्ध में मदद कर सकती है. उन्होंने कहा कि रूस की सहायता चीन को नई क्षमताएं भी दे सकती है, जो इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा के लिए चुनौती पेश करती हैं. मैं स्पष्ट नियमों के साथ हमारे आर्थिक सहयोग को गहरा करने पर जोर देता हूं.
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