Home National Bharatendu Harishchandra: 10 साल में लिखी पहली कविता फिर 34 वर्ष में बदल दिया हिंदी का रूप

Bharatendu Harishchandra: 10 साल में लिखी पहली कविता फिर 34 वर्ष में बदल दिया हिंदी का रूप

by Preeti Pal
0 comment
Bharatendu

Bharatendu Harishchandra: भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर 1850 कांशी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनका असली नाम ‘हरिश्चंद्र’ था और ‘भारतेंदु’ उनकी उपाधि थी. 6 जनवरी 1885 को सिर्फ 34 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.

09 September, 2024

Bharatendu Harishchandra Birth Anniversary : करीब 200 साल के दौरान हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में कई साहित्यकारों ने अपना अहम योगदान दिया है. इनमें 1850 में जन्में और 19वीं सदी का अंत होने से पहले सिर्फ 34 वर्ष में दुनिया को अलविदा कहने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम शामिल हैं. सही मायनों में वह युग निर्माता साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित रहे. आलोचकों की मानें तो वह हिंदी गद्य के जनक के रूप में जाने जाते हैं. आधुनिक हिंदी भाषा को गद्य की परिष्कृत भाषा बनाने में उनका योगदान अहम रहा है.

मनाई जा रही 140वीं जयंती

इस साल यानी 2024 में आधुनिक काल के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र की 140वीं जयंती मनाई जा रही है. सिर्फ 34 वर्ष तक दुनिया में रहे भारतेंदु हरिश्चंद्र ने सिर्फ 10 सालों के दौरान ही हिंदी साहित्य जगत को बहुत कुछ दिया. उन्होंने गद्य और पद्य विधा में कई अद्वितीय और अप्रतिम कृतियों का सृजन किया. उनका लिखा ‘अंधेर नगरी’ नाटक हर युग में प्रासंगिक है और रहेगा. हिंदी साहित्य में ‘आधुनिक काल’ के प्रथम युग की शुरुआत में ही भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाम पर ही रखा गया था. अब ‘भारतेंदु युग’ के नाम से जाना जाता है। साहित्य सृजन में भारतेंतु ने ब्रजभाषा के साथ-साथ खड़ी बोली का इस्तेमाल अपने काव्य में किया है. उन्होंने अनेक छंदों में काव्य रचना की है. उनकी कविता में श्रृंगार रस की प्रधानता है.

काव्य रचनाएं

प्रेम मालिका
फूलों का गुच्छा
प्रेम सरोवर
जैन कुतूहल
प्रेम फुलवारी
प्रेम तरंग
प्रेमाश्रु वर्षण
प्रेम माधुरी
कार्तिक स्नान
कृष्ण चरित
विनय प्रेम पचासा
श्राग संग्रह
विजय वल्लरी
भारत भिक्षा
भारत वीरत्व
प्रेम प्रलाप
वर्षा विनोद
गीत गोविंद
मधु मुकुल
होली
सतसई सिंगार
वैसाख महात्म्य
भक्तमाला उत्तरार्ध
भक्त सर्वस्व

नाटक

विधा सुंदर
पाखंडविडंबन
वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति
सत्यहरिश्चंद्र
प्रेम जोगिनी
विषस्य विषमौषधम
चंद्रावली
भारत दुर्दशा
भारत जननी
नीलदेवी
अंधेर नगरी

निबंध

भारतवर्षोंन्नति कैसे हो सकती है
एक अद्भुत अपूर्व स्वपन
नाटकों का इतिहास
रामायण का समय
काशी
मणिकर्णिका
कश्मीर कुसुम
बादशाह दर्पण
संगीत सार
उदयपुरोदय
वैष्णवता और भारतवर्ष
तदीयसर्वस्व
सूर्योदय
ईश्वर बड़ा विलक्षण है
बसंत
ग्रीष्म ऋतु
वर्षा काल
बद्रीनाथ की यात्रा
आत्मकथा
कुछ आपबीती कुछ जग बीती
यात्रा वृतांत
सरयूपार की यात्रा
लखनऊ

अनूदित नाट्य रचनाएं

विद्यासुन्दर (यतीन्द्रमोहन ठाकुर कृत बंगला संस्करण का हिंदी अनुवाद)
धनंजय विजय (व्यायोग, कांचन कवि कृत संस्कृत नाटक का अनुवाद)
कर्पूर मंजरी (सट्टक, राजशेखर कवि कृत प्राकृत नाटक का अनुवाद)
भारत जननी (नाट्यगीत, बंगला की ‘भारतमाता’ के हिंदी अनुवाद पर आधारित)
मुद्राराक्षस (विशाखदत्त के संस्कृत नाटक का अनुवाद)
दुर्लभ बंधु (विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ का अनुवाद)
पाखंड विडंबन (कृष्ण मिश्र कृत ‘प्रबोधचंद्रोदय’ नाटक के तृतीय अंक का अनुवाद)

सिर्फ 10 साल की उम्र में खो दिया मां-बाप को

आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामाह भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर, 1850 को काशी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. पिता श्री गोपालचंद्र प्रतिभाशाली कवि थे. इसका प्रभाव निश्चित तौर पर भारतेंदु हरिश्चंद्र पर पड़ा. ऐसा कहा जाता है कि हरिश्चंद्र ने महज 10 साल की उम्र में ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. यह सिलसिला जीवनभर जारी रहा. भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य में आधुनिकता के प्रथम रचनाकार थे. उनका मूल नाम हरिश्चंद्र था और बाद में उन्हें ‘भारतेन्दु’ की उपाधि दी गई. भारतेंदु ने पहले मां और फिर पिता को सिर्फ 10 साल की उम्र में खो दिया.

बांग्ला में लिखा पहला नाटक

16 वर्ष की अवस्था उन्होंने लिखा – ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल. बिन निज भाषा ज्ञान कै, मिटे न हिय को सूल.’ इसके बाद यह दो पंक्तियां हिंदी साहित्य ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य में भी अमर हो गईं. भारतेंदु के नाटक लिखने की शुरुआत बांग्ला के विद्यासुंदर (1867) नाटक के अनुवाद से हुई. कई आलोचक तो ‘भारत दुर्दशा’ नाटक से ही राष्ट्र भावना के जागरण का प्रारम्भ मानते हैं. भारतेंदु हरिश्‍चंद्र ने अनेक विधाओं में साहित्य की रचना की. उनके साहित्यिक व्यक्तित्व से प्रभावित होकर पण्डित रामेश्वर दत्त व्यास ने उन्हें ‘भारतेंदु’ की उपाधि से विभूषित किया.

यह भी पढ़ेंः 14 साल बाद Akshay Kumar को मिला प्रियदर्शन का साथ, क्या ‘भूत बंगला’ देगा खिलाड़ी के डूबते करियर को सहारा ?

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2024 Live Times News. All Right Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00