दोस्ताना जिंदगी से मौत से यारी रखो... पढ़ें राहत इंदौरी के सदाबहार शेर

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तों, दोस्ताना जिंदगी से मौत से यारी रखो.

दोस्ताना जिंदगी

बोतलें खोल कर तो पी बरसों, आज दिल खोल कर भी पी जाए.

बोतलें खोल

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुजरी है तिरे शहर में आते जाते.

हाथ का पत्थर

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग, गीली जमीन खोद के फरहाद हो गए.

मैं पर्बतों से लड़ता

ये हवाएं उड़ न जाएं ले के कागज का बदन, दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो.

कागज का बदन

मजा चखा के ही माना हूं मैं भी दुनिया को, समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे.

छोड़ दूंगा उसे