मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं...' पढ़ें राहत इंदौरी के बेहतरीन शेर
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं.
जान के दुश्मन
तेरी महफिल से जो निकला तो ये मंजर देखा,
मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा.
तेरी महफिल
सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे,
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे.
सूरज सितारे चांद
बोतलें खोल कर तो पी बरसों,
आज दिल खोल कर भी पी जाए.
बोतलें खोल कर
मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग,
गीली जमीन खोद के फ़रहाद हो गए.
पर्बतों से लड़ता
ये हवाएं उड़ न जाएं ले के कागज का बदन, दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो.
कागज का बदन