Rajkumar Rao Birthday: बॉलीवुड स्टार राजकुमार भले ही आज बड़े स्टार बन चुके हैं, लेकिन एक वक्त था जब वह रोज गुड़गांव (अब गुरुग्राम) से दिल्ली आने के लिए बसों में धक्के खाते थे.
Rajkumar Rao Birthday : आज राजकुमार राव जिस ऊंचाई पर हैं वहां तक पहुंचने का सपना हजारों लोग देखते हैं. आज उनके पास हर चीज है, लेकिन एक वक्त था जब उनकी मां को राजकुमार की स्कूल फीस भरने के लिए पैसे उधार लेने पड़े थे. कई बार तो स्कूल टीचर्स ने राजकुमार की फीस भरी. खैर, स्कूल से ही उनमें एक्टिंग का कीड़ा लग गया था. हमेशा से क्लीयर था कि आगे चलकर एक्टर ही बनना है तो स्कूल में ही वह थिएटर्स और प्ले करने लगे. स्कूल पास करके उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज (ARSD College) में एडमिशन लिया और वहां पर भी थिएटर चालू रहा. उस वक्त राजकुमार क्षितिज थिएटर ग्रुप और मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर में थिएटर किया करते थे.
ARSD के प्रिंसिपल ने पहचाना राजकुमार की प्रतिभा को
जब बात होती है राजकुमार राव के कॉलेज के बारे में तो यहां डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा (प्रिंसिपल, एआरएसडी) का जिक्र जरूरी है, क्योंकि राजकुमार का टैलेंट सबसे पहले इन्होंने ही पहचाना था. इसके बाद थिएटर करने के दौरान प्रिसिंपल लगातार गाइड करते थे. यह बात कम ही लोग जानते हैं कि राजकुमार राव के साथ कई फिल्मों में काम कर चुकी एक्ट्रेस कृति का डीयू के आत्मराम सनातन धर्म से एक खास कनेक्शन है. इस कॉलेज में कृति सेनन की मां गीता सेनन बतौर प्रोफेसर पढ़ाती थीं. यह भी कहा जाता है कि कई बार कृति सेनन कॉलेज में भी अपनी मां के साथ आई हैं, लेकिन राजकुमार और कृति सेनन का कॉलेज में कभी आमना सामान नहीं हुआ.
गुडगांव से दिल्ली रोडवेज के धक्के
मंडी हाउस में उन्होंने कई नाटक किए. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में धक्के खाकर गुडगांव से दिल्ली आना-जाना उनका रोज का काम था. मगर उन्हें सिर्फ मंडी हाउस तक ही सीमित नहीं रहना था. उनका सपना तो शाहरुख खान की तरह फिल्मों में रोमांस करना, अमिताभ की तरह एक्शन, मनोज बाजपेयी की तरह इंटेंस एक्टिंग और गुरुदत्त की तरह इमोशन दिखाने का था.
पुणे में लिया एडमिशन
इसी सपने को पूरा करने के लिए राजकुमार राव ने साल 2008 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) पुणे में एडमिशन लिया. कोर्स करने के बाद बॉलीवुड में करियर बनाने के लिए वह मुंबई चले आए. सभी न्यूकमर्स की तरह राजकुमार ने भी मन्नत से लेकर जलसा तक के सामने तस्वीरें खिंचवाईं. खैर, अब मुंबई आ तो गए मगर यहां काम मिलना आसान नहीं था. लेकिन शाहरुख खान का वो डायलॉग है ना… कि अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलाने की कोशिश करती है. और राजकुमार का तो दिल और दिमाग दोनों एक ही चीज चाहता था. यहां पर डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा (प्रिंसिपल) का अहम योगदान है. ARSD कॉलेज में ग्रेजुएशन के दौरान ज्ञानतोष कुमार झा ने न केवल राजकुमार राव की प्रतिभा को पहचाना बल्कि मौके भी दिए. राजकुमार राव को ‘शाहिद’ फिल्म में अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.
राजकुमार को पहला ब्रेक
मुंबई आकर राजकुमार राव ने खूब ऑडिशन दिए. लंबे स्ट्रगल के बाद उन्हें 2010 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘रण’ में जर्नलिस्ट का छोटा सा रोल मिला. इसी साल दिबाकर बनर्जी अपनी फिल्म ‘LSD’ के लिए ऑडिशन ले रहे थे. जब राजकुमार को इसकी खबर लगी तो वह भी पहुंच गए किस्मत आजमाने. दिबाकर को राजकुमार का ऑडिशन इतना पसंद आया कि 3 से 4 दिन के बाद ही उनके पास सिलेक्शन का कॉल आ गया. हां मगर उनकी शर्त थी. प्रोडक्शन हाउस ने कहा कि आपका चेहरा हैवी लग रहा है थोड़ा वेट कम करना पड़ेगा. राज कुमार ने तुरंत हामी भर दी.
कभी फीस भरने के लिए नहीं थे पैसे
इसके बाद कुछ दिन तक खूब दौड़ लगाई और वजन कम करके पहुंच गए ‘LSD’ के मेकर्स के पास. पहली ही फिल्म में राजकुमार ने अपनी छाप छोड़ दी. वैसे आपको यकीन नहीं होगा कि राजकुमार को पहली फिल्म के लिए सिर्फ 11 हजार रुपये फीस मिली थी. 11 हजार से शुरू हुआ यह सफर अब करोड़ों में जारी है. यह भी सच है कि एक दौर था जब राजकुमार के पास फीस भरने तक के पैसे नहीं होते थे और करोड़ों की दौलत के मालिक है.
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