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उस की याद आई है सांसों जरा आहिस्ता चलो, धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है.
न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा.