Hindenburg Research: हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट में मार्केट धाराशायी हो चुकी थी, लेकिन इस रिपोर्ट के बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ.
13 August, 2024
नई दिल्ली, धर्मेंद्र कुमार सिंह: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारत में राजनीतिक घमासान जारी है. यह रिपोर्ट तब आई जब अमेरिकी शेयर बाजार की जमीन खिसक गई है, जबकि भारतीय बाजार अमेरिकी बाजार की गिरावट से हिला जरूर लेकिन मजबूती से खड़ा है. हिंडनबर्ग की 11 अगस्त को जारी रिपोर्ट में इस बार हिंडनबर्ग के सीधे निशाने आईं SEBI चीफ माधबी बुच. हिंडनबर्ग ने व्हिसिल ब्लोअर रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया है कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की मॉरिशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है. इस कंपनी में गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर का निवेश किया है.
बाजार पर नहीं पड़ा रिपोर्ट का असर
हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट में मार्केट धाराशायी हो चुका था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. यह अलग बात है कि सोमवार सुबह से ही करोड़ों निवेशकों के चेहरों पर मायूसी थी. ऐसा ही हुआ भी. बाजार खुला तो करीब 350 अंक गिर गया, लेकिन अगले ही पल बाजार करीब 500 अंक चढ़ गया और आखिर में बाजार सिर्फ 57 अंक गिरकर बंद हुआ. मतलब बाजार पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का कोई खास असर नहीं हुआ, यूं कहें तो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारतीय बाजार नकार दिया.
मार्केट गिराकर मुनाफा कमाने में माहिर हिंडनबर्ग?
हिंडनबर्ग रिसर्च दुनिया में बड़ी बड़ी कंपनियों की पोल खोलती है, लेकिन उसकी अपनी ही कंपनी दागदार है. हिंडनबर्ग रिसर्च एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है, जो शेयर बाजार के धंधे में लिप्त है. हिंडनबर्ग पर आरोप है कि दूसरी कंपनियों की कारगुजारी को उजागर करता है, लेकिन अपनी ही कंपनी ही दाग लगे हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च के जरिए किसी कंपनी का पता लगाती है कि क्या स्टॉक मार्केट में गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है? इसे लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट जारी करती है. गौर करने की बात है कि हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी है. इसके जरिए अरबों रुपये की कमाई करती है. कंपनी की ओर से खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदी जाती है और फिर कीमत ज्यादा होने पर पर उसे बेच दिया जाता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है. यह दुनिया में दूसरी कंपनियों को पोल खोलती है, जिसके बाद मार्केट में सुनामी आती है और मार्केट धाराशायी हो जाती है. फिर यह कंपनी कम कीमत पर शेयर खरीदती है और मार्केट में सुधार होने के बाद मोटी कमाई करती है. इस कंपनी का दूसरा चेहरा है कि हिंडनबर्ग अपने शोध के आधार पर अक्सर कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाती है.
हिंडनबर्ग पहले ही कर चुकी है ‘कारनामा’
हिंडनबर्ग ऐसी कंपनी को निशाना बनाती है, जिसका रिश्ता सरकार से है और जो कंपनी विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहती है. इसीलिए हिंडनबर्ग ने भारत में अडाणी पर निशाना साधा है, ताकि अडाणी को निशाना बनाने से पूरा बाजार ही ध्वस्त हो जाए. यही काम साल 2023 में हिंडनबर्ग ने किया था. जनवरी 2023 में अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. अडाणी की कंपनी पर तो असर हुआ ही था, बल्कि पूरा बाजार इसकी चपेट में आ गया था. हिंडनबर्ग के खुलासे से अडाणी ग्रुप को 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था. हिंडनबर्ग की तरफ से इस बार भी यही कोशिश की गई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. हालांकि, जनवरी 2023 के खुलासे के दौरान अडाणी ग्रुप को अपना FPO वापस लेना पड़ा था. जबकि SEBI और सुप्रीम कोर्ट से अडाणी को क्लीन चिट मिल चुकी है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने साल 2020 के बाद से 30 कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट उजागर की है और रिपोर्ट रिलीज होने के अगले ही दिन उस कंपनी के शेयर औसतन 15 फीसदी तक टूट गए.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स)
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