SC/ST Reservation : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ चिराग पासवान एकमुश्त होकर पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं और बाकि दलों के अनुसूचित जाति के सांसदों से संपर्क साधने में लगे हैं.
11 August, 2024
SC/ST Reservation : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) में ‘कोटे के अंदर कोटा’ और क्रीमी लेयर फैसले के खिलाफ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुसूचित जाति के सासंदों के साथ बैठक बुलाने पर भी विचार कर रहे हैं. बता दें कि लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता पहले ही इस फैसले से असहमति जता चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने की बात कह रहे हैं.
देश की प्रमुख पार्टियों ने साधी चुप्पी
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान ने अनुसूचित जाति के सांसदों से संपर्क साधा है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राय जानने की कोशिश की है. इस फैसले का राजनीतिक तौर पर बहुत दूरगामी प्रभाव होगा, लेकिन अभी तक देश की प्रमुख पार्टियों ने चुप्पी साध रखी है और कहा जा रहा है कि आंतरिक विचार-विमर्श कर रही हैं. हालांकि, अभी यह देखना बाकि है कि विभिन्न दलों के अनुसूचित जाति के नेता इस मामले में क्या प्रतिक्रिया देते हैं. इनमें से कई नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों के हिसाब से बयान दिए हैं.
जीतन राम मांझी ने किया फैसले का स्वागत
चिराग पासवान और मायावती की नेतृत्व वाली पार्टियां LJP रामविलास और BSP संख्यात्मक रूप से अनुसूचित जातियों का समर्थन प्राप्त करती हैं. इसलिए यह पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आई हैं. दूसरी तरफ NDA के सहयोगी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने फैसले की सराहना करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के अंतर्गत आने वाले मांझी समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बाकी जातियों के मुकाबले कमजोर है और उन्हें प्रतिनिधित्व भी बहुत कम मिला है.
विभिन्न जातियों में बढ़ेगी कई समस्या
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलचकों ने तर्क दिया कि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित रिक्तियों का एक बड़ा हिस्सा अक्सर पर्याप्त रूप से योग्य आवेदकों की कमी के कारण खाली रह जाता है. उन्होंने कहा कि कोटे के अंदर से विभिन्न जातियों के बीच समस्या और बढ़ेगी. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 न्यायाधीशों की बेंच ने एक अगस्त को 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था, जिसमें राज्य सरकारों को अधिकार दिया कि वह SC/ST में उप-वर्गीकरण कर सकती हैं. ताकि इसमें पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके.
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