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वामपंथी राजनीति का बुझ गया आखिरी चिराग, जानिए बुद्धदेव भट्टाचार्य की अनसुनी बातें

by Rashmi Rani
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वामपंथी राजनीति का बुझ गया आखिरी चिराग, जानिए बुद्धदेव भट्टाचार्य की अनसुनी बातें

Buddhadeb bhattacharjee Death: भद्रलोक के भद्रपुरुष के नाम से बुद्धदेव भट्टाचार्य को जाना जाता था. पश्चिम बंगाल की औद्योगिक क्रांति के लिए भी उन्हें जाना जाता है.

08 August, 2024

Buddhadeb bhattacharjee Death: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का गुरुवार को निधन हो गया. भद्रलोक के भद्रपुरुष के नाम से बुद्धदेव भट्टाचार्य को जाना जाता था. पश्चिम बंगाल की औद्योगिक क्रांति के लिए भी उन्हें जाना जाता है. 80 साल के उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधने से ना केवल सीपीआई को बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल को बड़ा नुकसान हुआ है. 11 साल तक लगातार उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला. मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के वह आखिरी शासक थे.

बांग्ला साहित्य में किया ग्रेजुएशन

बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को हुआ था. उन्होंने कोलकाता से अपनी पढ़ाई पूरी की. बांग्ला साहित्य में उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. अपने दादा के कारण उन्होंने बांग्ला साहित्य में ग्रेजुएशन किया था. उनके दादा साहित्य के बड़े जानकार थे . इसके साथ ही पुजारी दर्पण नामक मशहूर पत्रिका भी वह निकालते थे. पढ़ाई खत्म करने के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य शिक्षक बन गए. कुछ सालों तक उन्होंने बच्चों को पढ़ाया और फिर राजनीति में कदम रखा.

18 साल तक ज्योति बसु के मंत्रिमंडल में रहे मंत्री

1977 में उन्होंने पहली बार काशीपुर-बेलछिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1977 में वह पहली बार विधायक बने. हालांकि 1987 में उन्होंने जादवपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने. 2011 तक फिर वह इसी सीट से विधायक बने रहे, लगातार 24 साल तक वह विधायक रहे.ज्योति बसु की सरकार में साल 1977 में उन्हें संस्कृति मंत्री बनाया गया. करीब 18 साल तक बुद्धदेव भट्टाचार्य ज्योति बसु के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे. 1996 में उन्हें गृह मंत्री भी बनाया गया.

पद्मभूषण सम्मान लेने से किया इन्कार

देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ सीएम बताया था. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में अद्यौगिक नीति स्थापित करने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी सरकार इसमें सफल नहीं हो पाई थी. बता दें कि साल 2022 में केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मभूषण सम्मान देने का एलान किया था, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इन्कार कर दिया.

साल 2015 में राजनीति से लिया संन्यास

पश्चिम बंगाल में बुद्धदेव भट्टाचार्य सीपीएम के दूसरे और अंतिम मुख्यमंत्री थे. साल 2000 से लेकर 2011 तक लगातार वह सीएम पद पर रहे. ज्योति बसु ने उन्हें पश्चिम बंगाल की कमान सौंपी थी. बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार में ही विवादित सिंगूर और नंदीग्राम का किसान आंदोलन ने जन्म लिया था. साल 2015 के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था.

यह भी पढ़ें : वामपंथी राजनीति का एक अध्याय हुआ समाप्त, पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य का लंबी बीमारी के बाद निधन

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