08 January 2024
बिलकिस बानो केस में कोर्ट के फैसले को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने न्याय की जीत बताया है। प्रियंका ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से न्याय व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत होगा।
प्रियंका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बीजेपी की महिला विरोधी नीतियों से पर्दा हट गया है। उन्होनें एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि अंततः न्याय की जीत हुई। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की शिकार बिलकिस बानो के मामले के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गुजरात की बीजेपी सरकार का रुख पीड़िता के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बजाय अपराधियों को बचाना था।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसले सुनाते हुए दोषियों की सजा में दी गई छूट को रद्द कर दिया है। और दोषियों को दो हफ्तों में जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।
आदालत ने ये भी साफ किया कि गुजरात सरकार को छूट का आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं था। दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने में वो राज्य सक्षम होता है जहां दोषियों पर मुकदमा चलाया जाता है। और दोषियों पर मुकदमा गुजरात की जगह महाराष्ट्र में चलाया गया था।
बिलकिस मामले से जुड़े अहम घटनाक्रम
- 3 मार्च 2002- अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में 21 साल की बिलकिस के परिवार पर हिंसक भीड़ का हमला। महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई।
- दिसंबर 2003- सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बिलकिस बानो मामले में जांच के निर्देश दिए ।
- 21 जनवरी 2008- एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो से बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया। उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
- दिसंबर 2016- बंबई हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाए 11 कैदियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।
- मई 2017- बंबई हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी।
- 23 अप्रैल 2019- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा।
- 13 मई 2022- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया, कि वो 9 जुलाई 1992 की अपनी नीति के मुताबिक वक्त से पहले रिहाई के लिए 1 दोषी की याचिका पर विचार करे।
- 15 अगस्त 2022- गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उप-कारागार से 11 दोषियों को रिहा किया गया।
- 25 अगस्त 2022- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की वक्त से पहले रिहाई के खिलाफ भाकपा की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दायर जनहित याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया।
- 30 नवंबर 2022- बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि उनकी समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को हिला दिया है।
- 17 दिसंबर 2022- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उससे 13 मई के अपने उस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि गुजरात सरकार सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के एक दोषी द्वारा दायर वक्त से पहले रिहाई के आवेदन की जांच करने में सक्षम है।
- 27 मार्च 2023- बिलकिस बानो की याचिका पर केंद्र, गुजरात सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया गया।
- 7 अगस्त 2023: सुप्रीम कोर्ट ने सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की।
- 12 अक्टूबर 2023- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 11 दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
- 08 जनवरी 2024- सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की सजा माफी रद्द करते हुए कहा, कि आदेश घिसा-पिटा है और बिना सोचे-समझे पारित किया गया। आदालत ने दोषियों को दो हफ्तों में जेल अधिकारियों के सामने समर्पण करने का निर्देश दिया।
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