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Human Organs को रोगी तक जल्द पहुंचाने के लिए सरकार का बड़ा कदम, ट्रांसपोर्टेशन के लिए जारी की पहली SOP

by Divyansh Sharma
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Human Organs को रोगी तक जल्द पहुंचाने के लिए सरकार का बड़ा कदम, ट्रांसपोर्टेशन के लिए जारी की पहली SOP

Guidelines For Transporting Human Organs: फ्लाइट, मेट्रो, सड़क, ट्रेनों और शिपिंग के माध्यम से बंदरगाहों के माध्यम से अंगों के ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा के लिए SOP जारी किए गए हैं.

04 August, 2024

Guidelines For Transporting Human Organs: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंग प्रत्यारोपण (Organ transplant) के दौरान मानव अंगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए पहली SOP (Standard operating procedure) जारी कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी SOP के मुताबिक, एयरपोर्ट पर अगर कोई विमान मानव अंग को प्रत्यारोपण के लिए कहीं लेकर जा रहा है तो वह एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अनुरोध करके वह फ्लाइट की पहले टेक-ऑफ और लैंडिंग और लैंडिंग कर सकता है.

फ्लाइट कैप्टन के लिए भी निर्देश

SOP के मुताबिक, मानव अंग को लेकर जाने और आने वाले चिकित्सा कर्मी प्राथमिकता के आधार पर जल्दी चेक-इन भी कर सकते हैं. बता दें कि जब अंग दाता और अंग प्राप्तकर्ता एक ही शहर में या अलग-अलग शहरों के अलग-अलग अस्पतालों में होते हैं, तब एक मानव अंग को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक ले जाया जाता है, इसी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि फ्लाइट कैप्टन उड़ान के दौरान इस बात की घोषणा कर सकता है कि, विमान में जिवित मानव अंग को ले जाया जा रहा है. SOP में कहा गया है कि एयरपोर्ट और एयरलाइन स्टाफ विमान से अंग बॉक्स को एम्बुलेंस तक ले जाने के लिए ट्रॉलियों की भी व्यवस्था कर सकता है. वहीं अगर एम्बुलेंस को रनवे तक जाने की अनुमति दी जाती है तो एयरलाइन क्रू अंग बॉक्स को ले जाने के लिए साथ आए चिकित्सा कर्मियों को सीढ़ियों से सीधे रनवे पर उतरने और एम्बुलेंस में चढ़ने में मदद कर सकता है.

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ग्रीन कॉरिडोर बनाने पर भी जोर

SOP में यह भी कहा गया है कि, एयरपोर्ट अधिकारियों को एक ग्रीन कॉरिडोर भी बनाना चाहिए. एम्बुलेंस और अन्य वाहनों के लिए भी ग्रीन कॉरिडोर बनाने पर विचार किया जा सकता है. ग्रीन कॉरिडोर से जुड़े एरिया और सुरक्षा चिंताओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए पुलिस विभाग एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर सकता है. वहीं दूसरी ओर मेट्रो के जरिए अंगों को ले जाने के दौरान प्राथमिकता के आधार पर नियम बनाए जा सकते हैं. मेट्रो के सुरक्षा कर्मचारी क्लिनिकल टीम को अंग बॉक्स ले जाने के लिए बोर्डिंग तक एस्कॉर्ट करेंगे. वहीं मेट्रो अधिकारी क्लीनिकल टीम को मेट्रो में ले जा सकते हैं और ऑर्गन बॉक्स के लिए घेराबंदी भी कर सकते हैं. ऑर्गन बॉक्स को सावधानी से संभालने और अन्य जानकारियों का लेबल भी लगाया जा सकता है. इसी तरह सड़क, ट्रेनों और शिपिंग के माध्यम से बंदरगाहों के माध्यम से अंगों के ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा के लिए SOP जारी किए गए हैं.

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