Shakeel Badayuni Birth Anniversary: 3 अगस्त, 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूं के जन्मे शकील बदायूंनी ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन गीतों का तोहफा दिया. उनके गीत दशकों पहले भी हिट थे और आज भी.
03 August, 2024
Shakeel Badayuni Birth Anniversary: ऐसे कहा जाता है कि फिल्म ‘बैजू बावरा’ के निर्देशक विनय भट्ट गीतकार और कवि प्रदीप से बहुत अधिक प्रभावित थे. वह उन्हीं से ‘बैजू बावरा’ के गीत लिखवाना चाहते थे. इस पर नौशाद अली ने विनय भट्ट से गुजारिश की कि वही एक बार शकील बदायूंनी के गीत भी देख लें. वह दुविधा में थे कि कैसे उर्द का एक शायर शुद्ध हिंदी में गीत लिखेगा. खैर, नौशाद की गुजारिश पर रवि भट्ट राजी हो गए.
नहीं किया विनय भट्ट को निराश
नौशाद ने ही शकील बदायूंनी और रवि भट्ट की मुलाकात करवाई. मुलाकात के दौरान विनय भट्ट गीतकार शकील बदायूंनी के मुरीद हो गए. इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब वह ‘बैजू बावरा’ के गीत शकील बदायूंनी से ही लिखवाएंगे. शकील ने भी विनय भट्ट को निराश नहीं किया. ‘बैजू बावरा’ के सभी गीत आज भी लोगों को पसंद आते हैं.
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3 बार मिला फिल्म पुरस्कार
साल 1961 में शकील बदायूंनी ने गुरु दत्त और वहीदा रहमान की फिल्म ‘चौदहवीं का चांद’ (Chaudhvin Ka Chand) का टाइटल सॉन्ग ‘चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो, जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो’ लिखा. इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ‘फिल्मफेयर पुरस्कार’ भी मिला था. इसके बाद साल 1962 में फिल्म ‘घराना’ (Gharana) के लिए शकील ने ‘हुस्नवाले तेरा जवां नहीं’ जैसा बेहतरीन गाना लिखा. इस गीत के लिए उन्हें दोबारा सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ‘फिल्मफेयर पुरस्कार’ नसीब हुआ. फिर फिल्म 20 साल बाद के लिए भी शकील बदायूंनी को फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. खैर, आज भले ही शकील बदायूंनी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके नगमे हमें सुकून देते रहेंगे.
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