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Agnipath योजना क्यों है जरूरी और कौन फैला रहा है इस पर भ्रम ? जानने के लिए पढ़िये Exclusive Story

by Live Times
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Agnipath योजना क्यों है जरूरी और कौन फैला रहा है इस पर भ्रम ? जानने के लिए पढ़िये Exclusive Story

Agniveer and Agnipath Row: अग्निपथ योजना को लेकर संसद से सड़क तक खूब हंगामा हो चुका है, लेकिन सरकार अग्निपथ योजना को वापस लेने के मूड में नहीं है.

28 July, 2024

नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: जब बदलाव की बयार चलती है तो किसी को इसकी भनक लगती है तो कोई इसे अनसुना कर देता है. यही वजह है कि जो समय के साथ जो नहीं बदलता है उसे समय बदल देता है. वर्ष 2022 में भारतीय सेना में अग्निपथ योजना लाई गई. वहीं, अग्निपथ योजना के साथ ही इस पर विवाद भी शुरू हो गया. देश में अग्निपथ योजना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुए. विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेरने लगीं. कांग्रेस ने 2024 लोकसभा चुनाव में यह भी एलान कर दिया कि अगर केंद्र में सरकार आती है तो अग्निपथ योजना को खत्म कर दिया जाएगा. कांग्रेस ही नहीं, बल्कि कई सारी विपक्षी पार्टियां अग्निपथ का विरोध कर रही हैं. सरकार की सहयोगी पार्टी JDU भी समीक्षा की बात कह रही है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में BJP को बहुमत नहीं मिलने की एक वजह अग्निवीर योजना भी है. अग्निपथ योजना को लेकर संसद से सड़क तक खूब हंगामा हो चुका है, लेकिन सरकार अग्निपथ योजना को वापस लेने के मूड में नहीं है.

मोदी ने विपक्ष को घेरा

कारगिल दिवस पर पीएम मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लोग देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं. इतिहास साक्षी है कि उन्हें सैनिकों की कोई परवाह नहीं है. कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार पेंशन के पैसे बचाने के लिए यह योजना लेकर आई है. ऐसे लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि आज की भर्तियों के लिए पेंशन का प्रश्न तो 30 साल बाद उठेगा तो फिर सरकार उसके लिए आज क्यों फैसला लेती. उसे क्या तब की सरकारों के लिए नहीं छोड़ देती.

अग्निपथ योजना लाने के पीछे क्या है लॉजिक

दुनिया बदल रही है. तकनीकी युग का जमाना है तो जाहिर है कि कई देश सेना में युवाओं को तरजीह दे रहे हैं. देश की सीमाओं पर दुश्मनों की नजर है. 1947 से पाकिस्तान लगातार भारत को परेशान कर रहा है. अक्सर आतंकियों के जरिए देश के अमन-चैन में खलल डालता रहा है. दूसरी तरफ, चीन हमेशा फिराक में रहता है कि कैसे भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया जाए? सर्वविदित है कि चीन में मातृभूमि की रक्षा करना हर एक नागरिक का परम कर्तव्य माना जाता है. 18 साल की उम्र में सैनिक में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, हालांकि वहीं चीन के कानून के मुताबिक सेना में भर्ती तीन साल और नौसेना और वायुसेना में चार साल है. चीन में आर्मी की औसत उम्र 22 साल मानी जाती है जबकि, 80 लाख रिजर्व फोर्स 45 साल की उम्र तक है. अभी हाल में इजराइल और आतंकी संगठन हमास के बीच जंग शुरू हुई तो इजराइल में स्वंयसेवकों ने स्वेच्छा से सेना में अपनी सेवा देने का एलान किया है. अमेरिका में स्वैच्छिक ड्यूटी 6 से 9 महीने से लेकर पूरे एक वर्ष तक का होती है. वहीं, इजराइल, नॉर्वे, उत्तर कोरिया, सिंगापुर और स्वीडन उन देशों में शामिल हैं जहां पर अनिवार्य सैन्य सेवा है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि भारत इस बदलाव की बयार में कैसे पीछे रह सकता है.

अग्निपथ योजना क्यों लाई गई ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अग्निपथ योजना लाने को लेकर अपनी दलील दी और कहा कि भारत के सैनिकों की औसत आयु ग्लोबल एवरेज से ज्यादा होना चिंता बढ़ाता रहा है. अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युवा बनाना और युद्ध के लिए निरंतर योग्य बनाकर रखना है. सरकार का मानना है कि अग्निपथ में युवा भर्तियों पर जोर दिए जाने के कारण सैन्य प्रतिक्रिया समय में तेजी आएगी और युद्ध के मैदान माकूल जवाब देने में सक्षम होगा. वर्तमान में देश में सशस्त्र बलों में औसत आयु 32 वर्ष है, जो अग्निपथ के कार्यान्वयन से घटकर 26 वर्ष हो जाएगी. दरअसल, 18 साल की उम्र के सैनिक युवा होते हैं, उनमें जोश, जुनून, जज्बा और जोखिम लेने की क्षमता होती है. इसके साथ ही नए युवा वर्ग तकनीक से कमोबेश लैस होते हैं. चार साल के बाद इनकी सेवा समाप्त होती है तो एक तरह से यह अग्निवीर रिजर्व फोर्स की तरह काम कर सकता है. अगर जरूरत हुई तो इमरजेंसी में भी सेवा ली जा सकती है. हालांकि सरकार ने भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर अग्निपथ योजना में बदलाव किया जा सकता है.

बेरोजगारी और पेंशन की चिंता का क्या समाधान है?

4 साल के बाद सिर्फ 25 फीसदी अग्निवीरों ही सेना में बने रहेंगे जबकि 75 फीसदी की सेवा समाप्त हो जाएगी. यह योजना 4 वर्ष की अवधि पूरी होने पर एक अग्निवीर को लगभग 11.71 लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान प्रदान करती है. हालांकि निर्धारित कोई ग्रेच्युटी या पेंशन नहीं दी जाती है. वहीं ड्यूटी के दौरान शहीद होने पर परिवार को संयुक्त रूप से 1 करोड़ रुपए मिलते हैं. इसमें सेवा निधि पैकेज और सैनिक का वेतन दोनों शामिल होते हैं. दिव्यांगता की गंभीरता के आधार पर अग्निवीर को 44 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. यही वजह है कि अग्निपथ योजना को लेकर सवाल उठ रहे हैं. पूर्व अग्निवीरों के लिए गृह मंत्रालय ने BSF, CISF, SSB, CRPF और RPF में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का बड़ा एलान किया है. साथ ही BJP शासित राज्य अपने-अपने राज्यों में भी आरक्षण देने का एलान किया है. हालांकि, विपक्षी शासित राज्यों में ऐसी घोषणा नहीं हुई है. अब सवाल है कि विपक्षी शासित राज्यों पूर्व अग्निवीरों के लिए नौकरियों में रियायत देती है या नहीं? हालांकि, लगता है कि सरकार पूर्व अग्निवीरों को नौकरी देने में और मदद कर सकती है लेकिन, अग्निपथ को खत्म करने के मूड में नहीं दिख रही है.

धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स)

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