Home Politics आपातकाल के खिलाफ जिसने लड़ी जंग उसे मिले 50 हजार रुपये पेंशन, JDU नेता केसी त्यागी ने पीएम को लिखा खत

आपातकाल के खिलाफ जिसने लड़ी जंग उसे मिले 50 हजार रुपये पेंशन, JDU नेता केसी त्यागी ने पीएम को लिखा खत

by Live Times
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Those who fought against the Emergency should get a pension of Rs 50,000, JDU leader KC Tyagi wrote a letter to the PM

KC Tyagi Urges PM Modi : केसी त्यागी ने पीएम से गुजारिश की है कि आपातकाल के दौरान लड़ाई लड़ने वालों को 50,000 रुपये मासिक पेंशन देनी चाहिए.

KC Tyagi Urges PM Modi : जनता दल यूनाइटेड (Janta Dal United) के वरिष्ठ नेता और नीतीश कुमार के करीबी केसी त्यागी (KC Tyagi) ने मांग की है कि 1975 में आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों को मान्यता देने के साथ ही उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान दी जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि ऐसे परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के साथ ही उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराई जाएं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह आग्रह केंद्र सरकार द्वारा आपातकाल की वर्षगांठ को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा के कुछ सप्ताह बाद किया है.

दी जाए मासिक पेंशन

केंद्र में सत्तासीन नरेन्द्र मोदी सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए पूर्व राज्यसभा सदस्य केसी त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि आधिकारिक अधिसूचना में उस अवधि के दौरान अपने संघर्ष के लिए जाने जाने वाले दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि तो दी गई है, लेकिन इसमें जीवित कार्यकर्ताओं को न्याय प्रदान करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. ऐसे में उन्होंने आग्रह किया है कि आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों को मासिक पेंशन प्रदान की जाए.

हिंदी भाषी कुछ राज्यों में मिलती है आर्थिक मदद

JDU नेता केसी त्यागी ने बताया कि वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (ex prime minister Indira Gandhi) ने देश पर आपातकाल थोपा था, क्योंकि उन्हें अपनी कुर्सी बचानी थी. इसके खिलाफ हुए संघर्ष को अक्सर दूसरे स्वतंत्रता संग्राम के रूप में वर्णित किया गया है. उन्होंने संघर्ष में शामिल लोगों को 50,000 रुपये पेंशन देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कुछ हिंदी भाषी राज्यों ने आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों की मदद की, लेकिन दक्षिण और उत्तर पूर्व के राज्यों में कोई भी लाभ ऐसे लोगों को नहीं दिया गया. उन्होंने आग्रह किया कि आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ और लोकतंत्र बचाने के लिए संघर्ष करने वालों के परिवार के एक सदस्य को तो नौकरी देनी चाहिए. इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधा भी मुहैया कराई जानी चाहिए.

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प्रत्येक वर्ष मनाया जाएगा संविधान हत्या दिवस

यहां पर बता दें कि 12 जुलाई को केंद्र में सत्तासीन नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह एलान किया कि प्रत्येक वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाया जाएगा. इस दौरान उस अवधि के अमानवीय दर्द को सहन करने वालों के योगदान को याद किया जा सके. यह अलग बात है कि भारतीय जनता पार्टी समेत कुछ दलों को छोड़कर सभी विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इस एलान का विरोध किया था.

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