Unemployment In India: अब देखना है कि सरकार रोजगार देने की अग्निपरीक्षा में कहां तक खरी उतरती है.
23 July, 2024
नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: देश में बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या है. इसकी झलक हर शहर में देखी जा सकती है, चाहे वह गुजरात हो या महाराष्ट्र. चंद नौकरियों के लिए हजारों लोगों की हुजूम उमड़ जाती है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में बेरोजगारी एक बड़ा चुनावी मुद्दा था और विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी की बात को लेकर सरकार को लगातार घेर रही थी. कहा जा रहा है कि मोदी के बहुमत से दूर होने की वजह कई मुद्दों में एक बेरोजगारी भी था. लगता है लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए मोदी सरकार ने इस बार रोजगार पर जोर दिया है. इसकी झलक आज के बजट में देखा जा सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 2024-25 के बजट में रोजगार पर जोर दिया है. उन्होंने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा पीएम पैकेज के तहत रोजगार लिंक्ड स्कीम को लॉन्च करने का फैसला किया है. इस योजना के तहत रोजगार में आने वाले नए युवाओं को सरकार मदद देगी. प्रधानमंत्री पैकेज के तहत पांच वर्ष की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल विकास और अन्य अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दो लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की घोषणा की है. सरकार रोजगार के लिए तीन योजनाओं को लागू करेगी, जिसके जरिए रोजगार पाने और नौकरी देने वाले को सहायता प्रदान की जाएगी.
क्या है रोजगार पर मोदी पैकेज ?
सरकार ने बजट में रोजगार पैकेज का ऐलान किया है. EPFO में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को पहले महीने का वेतन सरकार द्वारा दिया जाएगा जो अधिकतम 15 हजार रुपये होंगे, ये तीन किश्तों में दिया जाएगा. इसके लिए 1 लाख रुपये तक की सैलेरी की लिमिट होगी. इस योजना से 2.10 करोड़ युवाओं का फायदा होगा. दूसरी बात है कि मैन्युफैक्चरिंग में रोजगार को प्रोत्साहन दिया जाएगा. इस योजना से 30 लाख युवाओं को फायदा होगा और अतिरिक्त रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी. इसके लिए सीधे कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को रोजगार के पहले चार वर्षों में EPFO में उनके अंशदान के संबंध में प्रोत्साहन दिया जाएगा. तीसरी बात है कि इस योजना के तहत एम्पलॉयर द्वारा नियुक्त किए जाने वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी की नियुक्ति के लिए दो सालों तक प्रति महीने 3 हजार रुपये तक एम्पलॉयर के EPFO कंट्रीब्यूशन के लिए भुगतान किया जाएगा. इस योजना से 50 लाख व्यक्तियों को अतिरिक्त रोजगार प्रोत्साहन मिलने की आशा है.
रोजगार को लेकर सरकार के पिटारे में और क्या है ?
बजट में यह भी ऐलान किया है कि सरकार बड़ी 500 कंपनी में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप करने के लिए अवसर प्रदान करेगी. इसमें 5 हजार रुपये हर महीने अलाउंस दिया जाएगा. साथ में 6000 रुपये का अतिरिक्त अलाउंस भी दिया जाएगा. कंपनियों को सीएसआर (CSR) के तहत स्किल करने पर खर्च करना होगा. इसके साथ मुद्रा योजना के तहत लोन लेने का दायरा 10 लाख से 20 लाख कर दिया गया है. वहीं करीब 11 लाख करोड़ इंफ्रास्ट्क्चर पर खर्च करेगी, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा स्टार्टअप से लेकर टूरिज्म, डिफेंस से लेकर कृषि सेक्टर में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
बेरोजगारी देश में कितना बड़ा टेंशन है ?
नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा 2014 के पहले वादा किया था कि हर एक साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे. यानि कि पांच सालों में 10 करोड़ नौकरी देने की बात थी. इसी को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को लगातार घेरते रही हैं. यह मुद्दा मोदी के पहले कार्यकाल में छाया था. दूसरे कार्यकाल में बेरोजगारी का बादल मंडरा रहा था. अब तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने रोजगार पर ध्यान देने की कोशिश की है. जबकि सरकार लगातार दावा करती रही है कि उनके कार्यकाल में नौकरी लोगों को मिली है. RBI के आंकड़े बताते हैं मार्च 2024 तक देश में 64.33 करोड़ लोगों के पास नौकरियां थीं, जबकि 10 साल पहले 2014-15 में लगभग 47 करोड़ लोग ऐसे थे. यानि कि 10 साल में करीब 17 करोड़ लोगों को काम मिला है. RBI का अपना हिसाब किताब है चूंकि. RBI नौकरी के मामले में उसे भी शामिल कर लेता है, जो कम दिनों या महीनों काम करता है हालांकि EPFO के आंकड़े के हिसाब से 2019-20 में 78.58 लाख EPFO नए सब्सक्राइबर्स थे. जबकि 2022-23 में 1.31 करोड़ नए सब्सक्राइबर्स जुड़े. मतलब बेरोजगारी है लेकिन नौकरी भी मिल रही है.
लेकिन बेरोजगारी का आंकड़ा भी बोलता है
सरकार के अपने दावे हैं लेकिन इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट बताती है कि 2023 तक भारत में जितने बेरोजगार थे, उनमें से 83% युवा थे. पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के तिमाही बुलेटिन के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2024 के बीच देश में बेरोजगारी दर 6.7% थी. इससे पहले अक्टूबर से दिसंबर 6.5 फीसदी थी. हालांकि, आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में इससे संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं. सरकार ने कहा है कि देश में बेरोजगारी दर में हाल के वर्षों में गिरावट आई है. श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अनुमानित बेरोजगारी दर 4.2 प्रतिशत थी. 2022-23 में यह दर 3.2 प्रतिशत रही हालांकि सरकार ने आर्थिक सर्वे में माना है कि सालाना 79 लाख नौकरी पैदा करने की जरूरत है. लगता है सरकार आर्थिक सर्वे को ध्यान में रखकर ही 5 साल में 4.1 करोड़ देने की बात की है. अब देखना है कि सरकार रोजगार देने की अग्निपरीक्षा में कहां तक खरी उतरती है.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिडर, लाइव टाइम्स)
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