Home Politics क्यों नए तेवर में हिंदुत्व एजेंडे पर लौटे मोदी और योगी? पीएम का क्या है प्लान और यूपी के सीएम की क्या है रणनीति?

क्यों नए तेवर में हिंदुत्व एजेंडे पर लौटे मोदी और योगी? पीएम का क्या है प्लान और यूपी के सीएम की क्या है रणनीति?

by Live Times
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क्यों नए तेवर में हिंदुत्व एजेंडे पर लौटे मोदी और योगी? पीएम का क्या है प्लान और यूपी के सीएम की क्या है रणनीति?

UP Politics: अब यही लग रहा है कि हिंदुत्व के एजेंडे पर BJP आने वाले दिनों में और जोर देगी.

22 July, 2024

नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुमत से दूर हो गए, वहीं राहुल गांधी को सिर्फ 543 में 99 सीटें मिली हैं लेकिन राहुल गांधी का इरादा इतना बुलंद है कि उन्हें लगता है कि BJP के हिंदुत्व के एजेंडे पंक्चर किया जा सकता है? गौर करने की बात है कि राम की जन्मभूमि अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट से BJP की करारी हार हुई है और राहुल गांधी बार-बार अयोध्या को लेकर BJP पर निशाना साध रहे हैं कि BJP के हिंदुत्व के किले अयोध्या में सेंध लग गई है. राहुल का इरादा इतना बुलंद है कि वो गुजरात में मोदी को हराने की सीधी चुनौती दे रहे हैं.

राजनीति समझने की है. अयोध्या से राहुल गांधी का कोई वास्ता नही है, बल्कि सहयोगी समाजवादी पार्टी ने BJP को हराया है. अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद अभी तक राहुल गांधी वहां नहीं गए हैं. गौर करने की बात है कि राहुल गांधी संसद में भगवान राम की मूर्ति नहीं बल्कि भगवान शिव की मूर्ति लेकर पहुंच गए थे और शिव के सहारे BJP को घेरने की कोशिश की थी. वो खुद को शिव भक्त बताते हैं. गौर करने की बात है राहुल गांधी इस बार अमेठी और वायनाड से लोकसभा का चुनाव जीते हैं, लेकिन जिस दिल्ली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी बरसों से रहते हैं. उस सीट से न तो पार्टी हाल के दिनों में लोकसभा का चुनाव जीती है न ही विधानसभा का. लेकिन राजनीति तो राजनीति ही होती है. BJP राहुल के मूड को भांपते हुए फिर से हिंदुत्व के मुद्दे पर कड़े तेवर के साथ उतर गई है. मकसद यही है किसी भी हाल में राहुल को हिंदुत्व के एजेंडे पर हावी नहीं होने देंगे.

योगी का दांव, एक तीर से कई निशाने

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदू के फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं. योगी 2017 से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन कभी भी कांवड यात्रा के दौरान दुकानों मालिकों का नाम लिखने का आदेश नहीं दिया. लोकसभा में पार्टी की करारी हार और अपने ही नेताओं द्वारा घेरे जाने पर योगी ने हिंदुत्व का बड़ा कार्ड खेल दिया है. अब कावड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नाम लिखने का आदेश दिया है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलट दिया है, लेकिन मकसद यही है कि BJP के हिंदुत्व के एजेंडे की धार को फिर से तेज करना है. साथ ही लोकसभा में हार के बाद उन्हें कठघरे में खड़े करने की कोशिश शुरू हुई थी. यह कोशिश अंदर और बाहर दोनों जगहों से हुई थी. खासकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह बीड़ा उठाया था, लेकिन दिल्ली दरबार को भनक है कि योगी की कुर्सी से खेलना आसान नहीं है. कांवड़ यात्रा के रास्ते में नेम प्लेट के पीछे योगी की सोची समझी रणनीति है,रणनीति ये है कि प्रदेश के 10 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में ध्रुवीकरण को मजबूत करने की कोशिश है और अपनी स्थिति को मजबूत करने की है। प्रदेश में 10 सीटों के उपचुनाव के लिए योगी ने अपनी टीम का गठन किया है और हर सीट पर मंत्रियों के प्रभारी बनाया है। योगी की नजर खासकर अयोध्या से जीते समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद की विधानसभा सीट मिल्कीपुर सीट पर भी है ताकि अयोध्या का बदला लिया जा सके.

हिंदुत्व पर मोदी का प्लान

लोकसभा में राष्ट्पति के अभिभाषण पर राहुल गांधी ने हिंदुत्व पर पीएम मोदी को घेरा था, कहा था कि हिंदुत्व के नाम पर 24 घंटे हिंसा और नफरत फैलाते हैं। मोदी को मालूम था कि राहुल को जवाब नहीं दिया तो शायद उनकी हिंदू ह्रदय सम्राट की छवि पर असर हो सकता है। ये पहला मौका था कि जब बीच में मोदी ने सदन में उठकर कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर बात है। हालांकि राहुल के बयान को सदन की कार्रवाई से हटा दिया गया था।मोदी को ये भी मालूम है कि हिंदुत्व के झंडे को आरएसएस के बिना मजबूत नहीं किया जा सकता है। खासकर लोकसभा चुनाव के बाद आरएसएस और बीजेपी के बीच में तनातनी शुरू हुई थी, उस तनातनी को मोदी अब विराम देना चाहते हैं यही वजह है कि अब मोदी सरकार ने आरएसएस के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी पाबंदी को खत्म कर दिया है।

हिंदुत्व पर BJP कड़े तेवर में

BJP कमंडल की राजनीति के जरिए मंडल की राजनीति को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन विपक्षी को लगा कि BJP के खिलाफ हिंदुत्व की पिच खेलना आसान नहीं है, इसीलिए विपक्षी पार्टियों ने रणनीति बनाई है कि जाति कार्ड से कमंडल की राजनीति को कमजोर करना है. यही वजह है कि विपक्ष जाति जनगणना की मांग कर रही है और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को बढ़ाने की मांग कर रही है. राहुल गांधी का नारा रहा है कि जितनी आबादी, उतना हक. इसका नतीजा यह हुआ है कि पीएम मोदी तीसरी बार बहुमत से चूक गए और BJP नेताओं को लगने लगा है कि कहीं न हिंदुत्व की राजनीति पर BJP की डोर कमजोर हो रही है. अब गौर से समझें तो यही लगेगा कि BJP के सारे नेता हिंदुत्व की राजनीति को फिर से धार देने में लग गए हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का कहना है कि 2041 तक प्रदेश में मुस्लिम बहुसंख्यक बन जाएंगे. यही वजह है कि सरमा ने असम सरकार की कैबिनेट ने 18 जुलाई को असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम एवं नियम, 1935 को ख़त्म करने के लिए एक विधेयक को मंज़ूरी दे दी है. बात सरमा तक ही सीमित नहीं है बल्कि पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेन्दु अधिकारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए “सबका साथ, सबका विकास” नारे की अब कोई जरूरत नहीं है. BJP को अपनी अल्पसंख्यक शाखा को खत्म कर देना चाहिए. अब यही लग रहा है कि हिंदुत्व के एजेंडे पर BJP आने वाले दिनों में और जोर देगी. चूंकि BJP को मालूम है कि मुस्लिम वोट BJP को नहीं मिलेगा तो हिंदुत्व के बिना BJP का राजनीतिक पौधा कैसे बढ़ेगा?

धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स)

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