Bihar Special State Status: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के मानदंडों का हवाला देते हुए इस मांग को खारिज किया है.
22 July, 2024
Bihar Special State Status: बिहार राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. केंद्र की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की सरकार ने बिहार राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के मानदंडों का हवाला देते हुए इस मांग को खारिज किया है. गौरतलब है कि, NDA सरकार के गठन से पहले सर्वदलीय बैठक में नीतीश कुमार ने बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि आपने (पीएम मोदी) बिहार के लिए बहुत कुछ किया है और आगे भी उम्मीद है कि जो कुछ बचेगा आप वह सब कर देंगे.
JDU सांसद ने पूछा सवाल
दरअसल, सोमवार को बिहार की सत्तासीन जनता दल यूनाइटेड (JDU) पार्टी के सांसद रामप्रीत मंडल ने केंद्र सरकार से पूछा कि सरकार का आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य और अन्य अत्यधिक पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करने पर क्या विचार है. इस सवाल पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब देते हुए कहा कि पहले कुछ राज्यों को राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) ने विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था. विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह ने विचार किया था. इससे जुड़ी एक रिपोर्ट 2012 में सौंपी थी. साथ ही अंतर-मंत्रालयी समूह ने यह निष्कर्ष निकाला था मौजूदा NDC मानदंडों के आधार पर, बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है.
NDC ने नियमों का दिया हवाला
BJP के IT सेल के हेड अमित मालवीय ने अपने ‘X’ पोस्ट में बताया कि बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा क्यों नहीं मिला. उन्होंने कहा कि विशेष श्रेणी के दर्जे के मुद्दे पर सबसे पहले साल 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की बैठक में चर्चा की गई थी. इससे पहले राज्यों को वित्त सहायता के लिए कोई नियम नहीं था. जरूरतों के आधार पर NDC ने पहली बार असम, जम्मू और कश्मीर और नागालैंड जैसे विशेष श्रेणी के राज्यों को प्राथमिकता दी गई. इसके बाद 5वें वित्त आयोग ने 1969 में विशेष श्रेणी के दर्जे की अवधारणा पेश की. इस दर्जे ने कुछ वंचित राज्यों को केंद्रीय सहायता और कर छूट दिया. ऐसे में वित्तीय वर्ष 2014-2015 तक विशेष श्रेणी के दर्जे वाले 11 राज्यों को कई लाभों और प्रोत्साहनों का लाभ मिला.
‘वर्गीकरण का प्रावधान नहीं’
अमित मालवीय ने आगे बताया कि 2014 में योजना आयोग की जगह नीति आयोग के गठन के बाद 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया. ऐसे में गाडगिल फॉर्मूला-आधारित अनुदान बंद हो गया. हालांकि सभी राज्यों के सहायता निधि को 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया गया. इसके साथ ही 2015 से प्रभावी 14वें वित्त आयोग ने इन राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया. हालांकि 15वें वित्त आयोग ने 2020-2021 और 2021-2026 की अवधि के लिए इस दर को 41% पर बरकरार रखा है. हालांकि इसमें जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण के कारण 1% समायोजन किया गया है. अब वर्तमान में किसी भी अतिरिक्त राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. क्योंकि भारत के संविधान में इस तरह के वर्गीकरण का प्रावधान नहीं है.
‘BJP के सामने नतमस्तक JDU’
वहीं इस मामले पर विपक्ष ने विरोध जताना शुरू कर दिया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला. RJD ने अपने ‘X’ हैंडल पर एक पोस्ट किया. पोस्ट में लालू यादव की ओर से लिखा गया कि नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार ने बड़ी निर्लज्जता से बिहार राज्य को विशेष राज्य पर झुनझुना पकड़ा दिया! विशेष राज्य का दर्जा नहीं तो विशेष पैकेज के नाम पर ही बिहार को कुछ भी दे दें! उन्होंने दावा किया कि JDU यह कहकर BJP के सामने नतमस्तक हो गई. उन्होंने नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग लिया. वहीं RJD के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा भी चाहिए और विशेष पैकेज भी चाहिए, दोनों के बीच में ‘या’ नहीं है!
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