Uttarakhand News: हरिद्वार में कांवड़ कारीगर भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन कांवड़ियों के रास्तों पर पड़ने वाले भोजनालय के खिलाफ आदेश जारी कर रहा है.
21 July, 2024
Uttarakhand News: उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ कारीगर भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं, जबकि जिला प्रशासन कांवड़ियों के रास्तों पर पड़ने वाले भोजनालय मालिकों का नाम लिखवाने का सरकारी आदेश लागू करने में जुटा है. दरअसल, यात्रा के दौरान श्रद्धालु जिन रंगीन कंटेनरों को अपने कंधों पर ले जाते हैं, उनमें कई कांवड़ मुस्लिम कारीगर तैयार कर रहे हैं.
आदेश से कारीगरों को नहीं है कोई मतलब
एक कावड़ कारीगर नौशाद अहमद ने बताया कि हम लोग यहां बस काम करने के लिए आते हैं. हमारे दिल में श्रद्धा है कांवड़ बनाने की. जब उनसे पूछा गया कि कैसे कावड़ बनाते हैं आप? तो उन्होंने बताया कि हम लोग दो मंजिल और तीन मंजिल कांवड़ बनाने के साथ-साथ शिवलिंग और धनुष जैसी कई चीजें बनाते हैं. फिर उन्होंने आगे बताया कि जिला प्रशासन के इस आदेश से उन्हें कोई मतलब नहीं है. वह अपनी आस्था से काम करते हैं, फिर चाहें उनका धर्म कोई भी हो. कारीगरों का कहना है, वे लाभ कमाने के बजाय सामुदायिक एकता के लिए यह काम कर रहे हैं.
सिर्फ भाईचारे के लिए करते हैं यह काम
एक और कावड़ कारीगर मोहम्मद जमशेद का कहना है कि इसमें लगने वाली सारी चीजें महंगी होती जा रही हैं. साथ ही यहां की दुकाने भी महंगी हो रही हैं. मगर, बनी हुई चीज उतने की ही बिक रही है जितने की पहले बिका करती थी. जब उनसे पूछा गया कि इस काम में कितनी मेहनत लगती है? तो उन्होंने बताया कि मेहनत तो इतनी है कि सुबह से लेकर रात के 2 बज जाते हैं. हम तो यह काम सिर्फ भाईचारे के लिए करते हैं. दशहरे के रावण भी हम ही बनाते हैं. सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु पवित्र नदियों, खास कर गंगा नदी से जल लाते हैं और भगवान शिव को चढ़ाते हैं. आपको बता दें कि इस साल सावन 22 जुलाई को शुरू हो रहा है.