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भारत में ‘Freedom Of Press’ पर छिड़ी बहस, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने राहुल गांधी को लिखा पत्र; कर दी बड़ी मांग

by Divyansh Sharma
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भारत में Freedom Of Press पर छिड़ी बहस, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने राहुल गांधी को लिखा पत्र; कर दी बड़ी मांग

Freedom Of Press: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने भारत में प्रेस को नियंत्रित करने के मामले पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पत्र लिखा है.

21 July, 2024

Freedom Of Press: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने भारतीय प्रेस को लेकर पत्र लिखा है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से यह पत्र कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लिखा गया है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पिछले कुछ वर्षों में प्रिंट, प्रसारण और डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए विधायी उपायों पर अपनी चिंता व्यक्त की है. भारत में वरिष्ठ संपादकों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था ने इस मामले पर नए सिरे से बहस और परामर्श की मांग की है.

प्रेस की मौलिक स्वतंत्रता खतरे में- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा कि हाल के वर्षों में सरकार की ओर से पारित कई विधायी उपायों के कारण प्रेस की मौलिक स्वतंत्रता खतरे में आ गई है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन स्पेस, प्रसारण, प्रिंट के साथ दूरसंचार क्षेत्र में मीडिया को रेगुलेट और नियंत्रित करने के लिए कई विधायी कदम उठाए गए हैं. इनमें से कुछ पहले ही संसद में अधिनियमित हो चुके हैं, जबकि कुछ को बिल के रूप में पेश किया गया. संस्था की ओर से कहा गया कि यह प्रावधान अस्पष्ट हैं और इनका दुरुपयोग वैध पत्रकारिता गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा सकता है.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सुरक्षा के उपाय नाकाफी

भारत में वरिष्ठ संपादकों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था ने आगे कहा कि सरकार के प्रावधान सरकारी अधिकारियों और एजेंसियों को ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार देते हैं, जिससे पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता पर संभावित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सुरक्षा के उपाय नाकाफी हैं. ऐसे में संस्था ने प्रेस की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर नए सिरे से संसदीय बहस और हितधारक परामर्श को आगे बढ़ाने के साथ-साथ किसी भी नए विधायी उपाय में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए अनुरोध किया.

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