Home National Air Pollution से 10 शहरों में हर साल लगभग 34 हजार मौतें, आंकड़े दिखाकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को घेरा

Air Pollution से 10 शहरों में हर साल लगभग 34 हजार मौतें, आंकड़े दिखाकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को घेरा

by Divyansh Sharma
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Air Pollution से 10 शहरों में हर साल लगभग 34 हजार मौतें, आंकड़े दिखाकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को घेरा

Air Pollution In India: जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है.

21 July, 2024

Air Pollution In India: भारत में वायु प्रदूषण को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भारत का वायु प्रदूषण संकट नीतिगत विफलताओं का नतीजा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को लेकर अपना बयान जारी किया.

जयराम रमेश ने NCAP में अव्यवस्थाओं को किया हाइलाइट

जयराम रमेश ने अपने बयान में दावा किया कि इस महीने की शुरुआत में एक अध्ययन से पता चला था कि भारत में होने वाली सभी मौतों में से 7.2 फीसदी मौतें वायु प्रदूषण से से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा कि भारत के केवल 10 शहरों में हर साल लगभग 34 हजार मौतें हुई हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment) के एक नए अध्ययन ने NCAP की ओर से किए जा रहे प्रयासों का मूल्यांकन किया है. अध्ययन ने NCAP में अव्यवस्थाओं को हाइलाइट किया है जिसके कारण यह स्वास्थ्य संकट पैदा हुआ.

PM 2.5 लोगों के लिए अधिक खतरनाक- जयराम रमेश

कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के अनुदान के साथ NCAP का मौजूदा समय में बजट लगभग 10 हजार 500 करोड़ रुपये का है और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 131 शहर आते हैं. इस हिसाब से यह धनराशि तो NCAP के लिए बेहद कम है. उन्होंने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि इस कम राशि में से भी केवल 64 फीसदी ही इस्तेमाल किया गया है. संसाधनों का गलत दिशा में इस्तेमाल हुआ. NCAP ने PM 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण पदार्थ) के बजाय PM 10 (10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण) पर अधिक केंद्रित है, जबकि PM 2.5 कहीं अधिक खतरनाक है.

धूल शमन से ज्यादा उत्सर्जन लोगों के लिए खतरनाक

जयराम रमेश ने कहा कि फंड का 64 फीसदी सड़क की धूल शमन पर खर्च किया गया, जो उ‌द्योगों (धन का 0.61%), वाहनों (धन का 12.63%), और बायोमास जलाने (14.51%) के दहन से जुड़े खर्च से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि यह उत्सर्जन ही लोगों के लिए खतरनाक हैं. NCAP के तहत 131 शहरों में से खुद के पास अपने वायु प्रदूषण को ट्रैक करने के लिए डेटा भी नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जिन 46 शहरों के पास खुद का डेटा है, उनमें से केवल 8 शहरों ने ही सिर्फ NCAP के लक्ष्य को पूरा किया है. वहीं 22 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति बदतर हो चुकी है. स्थिति में सुधार के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्वतंत्रता बहाल करने की मांग

जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से कहा कि वायु प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) नवंबर 2009 में लागू किया गया था. अब समय आ गया है कि अधिनियम और NAAQS दोनों पर फिर से गौर किया जाए और सुधार किया जाए. शहरों की फंडिंग को बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि PM 2.5 स्तर को भी मापा जाना चाहिए. ठोस ईंधन जलाने, वाहन से होने वाले उत्सर्जन और औ‌द्योगिक उत्सर्जन पर सरकार को अपना ध्यान फिर से केंद्रित करना चाहिए. सभी शहरों के लिए NCAP के डेटा निगरानी की होनी चाहिए और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्वतंत्रता बहाल की जानी चाहिए.

यह भी पढ़ें: केदारनाथ मार्ग पर बड़ा हादसा, मलबा गिरने से 3 लोगों की मौत; कई घायल

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