Bollywood Movie : भारतीय सिनेमा में दिव्यांगों के चित्रण पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि दिव्यांगों का फिल्मों में मजाक बनाना भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देना है.
15 July, 2024
Bollywood Movie : भारतीय सिनेमा में दिव्यांगों का उपहास उड़ाने का चलन रहा है. इसमें चित्र, आवाज, फिजिकल और दिव्यांगता के कई उदाहरण हैं, जिसका अकसर मजाक बनता दिख जाता है. ऐसे ही कई मामलों को लेकर पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि सिनेमा में दिव्यांग व्यक्तियों को स्टीरियोटाइप के रूप में पेश करना भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देना है. कोर्ट ने भरमाने वाले चित्रण और दिव्यांग व्यक्तियों को ‘अपंग’ शब्द से बचने के लिए कहा है.
विकलांगों के मजाक पर SC ने दिया स्पष्ट संदेश
कोर्ट में याचिका दायर करने वाले निपुण मल्होत्रा ने कहा कि कभी-कभी हंसना महत्वपूर्ण तत्व होता है और विकलांगता के बारे में अच्छा संदेश भी दे सकता है. साथ ही जागरूकता का भी काम करता है, लेकिन कई बार विकलांगता की स्थिति पर हंसने वाला हास्य और आम चीजों पर हंसने में थोड़ा अंतर होता है. इस पर शीर्ष अदालत ने बड़ी स्पष्टता के साथ कहा कि विकलांगता पर आधारित हास्य स्वीकार्य है और दिव्यांगता पर हास्य स्वीकार्य नहीं है.
फिल्मों के टाइटल और चित्रण पर CBFC ध्यान दे
एक्टिविस्ट वकील गौरव बंसल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मानवीयता का उदाहरण दिया और कोर्ट ने सरकार को इन मुद्दों पर सक्रिय रहते हुए काम करने की सलाह दी. बता दें कि साल 2019 में कंगना रनौत और राजकुमार राव ‘मेंटल है क्या’ फिल्म पर काम कर रहे थे. इस दौरान गौरव बंसल और उनके साथियों ने कोर्ट में याचिका दायर की. जहां मूवी का नाम बदलकर ‘जजमेंटल है क्या’ कर दिया गया. वकील ने कहा कि ऐसे मामलों में गौर करने का काम केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का है.
यह भी पढ़ें- Donald Trump की हत्या के प्रयास पर कांग्रेस-BJP में जुबानी जंग तेज, अब विवाद में हुई महात्मा गांधी की एंट्री