President Joe Biden : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से ‘रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट’ पर हस्ताक्षर करते ही चीन ने कहा कि अस्थिर करने का प्रयास सफल नहीं होगा.
President Joe Biden : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (President Joe Biden) ने भारत के पड़ोसी देश तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके साथ ही इसके शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में चीन और दलाई लामा के बीच संवाद को भी बढ़ावा देना इसका मकसद है. इससे पहले चीन ने रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट का विरोध किया था और इसे एक अस्थिर करने वाला अधिनियम बताया था. यह अधिनियम पिछले फरवरी में प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित किया गया था और मई में इसे सीनेट ने मंजूरी दे दी थी. वहीं, अमेरिका के इस कदम पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्थिर करने का प्रयास सफल नहीं होगा.
सीधी बातचीत का होगा प्रयास
अब जो बाइडेन ने शुक्रवार को देर रात एक बयान में कहा कि वह तिब्बतियों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और उनकी विशिष्ट भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की द्विदलीय प्रतिबद्धता को साझा करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मेरा प्रशासन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करता रहेगा, जिससे मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिए समझौता किया जा सके.
यहां पर बता दें कि 14वें दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भागकर भारत आए, जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार की स्थापना की. इसके बाद 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की बातचीत हुई, जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.
चीन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
उधर, इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने प्रतिक्रिया बीजिंग में संवाददाताओं से कहा कि कोई भी व्यक्ति या कोई भी बल जो चीन को रोकने या दबाने के लिए शिज़ांग को अस्थिर करने का प्रयास करता है, वह सफल नहीं होगा. इसके साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका को विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए.
चीन अपनी संप्रभुता के लिए उठाएगा कदम
उन्होंने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए दृढ़ कदम उठाएगा. उधर, विदेश विभाग ने हाशिए पर पड़े धार्मिक और जातीय समुदायों के दमन में शामिल होने के कारण कई चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिए हैं. इस पर विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि चीन मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा नहीं उतरा है.
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