27 December 2023
विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रधानमंत्री को लौटाने का फैसला किया है। उन्होने कहा कि ये सम्मान निरर्थक हो गए हैं, क्योकि पहलवान न्याय के लिए बुरी तरह संघर्ष कर रहे हैं। इससे खेल पर संकट बढ़ गया है। एक्स पर की गई अपनी पोस्ट में फोगट ने कहा कि उनका जीवन उन “फैंसी सरकारी विज्ञापनों” जैसा नहीं है, जो महिला सशक्तिकरण और उत्थान के बारे में बात करते हैं।
उन्होने कहा कि मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार का अब मेरे जीवन में कोई मतलब नहीं है। इस देश की हर महिला सम्मानजनक जीवन जीना चाहती है। इसलिए पीएम सर, मैं अपना ध्यानचंद और अर्जुन पुरस्कार आपको लौटाना चाहती हूं। उन्होंने अपनी चिठ्ठी में लिखा कि, “सम्मानजनक जीवन जीने के हमारे प्रयास में ये पुरस्कार हमारे लिए बोझ नहीं बनते।”
आपको बता दें कि फोगट को 2020 में भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान-खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार मिला था। फोगट का ये फैसला ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और डिफिलंपिक्स चैंपियन वीरेंद्र सिंह यादव के पद्म श्री पुरस्कार लौटाने के बाद आया है। रियो खेलों की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने भी खेल छोड़ने की बात कही थी। इन खिलाड़ियों ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के तौर पर संजय सिंह के चुनाव के बाद ये ऐलान किया था।
खेल मंत्रालय ने क्या कहा ?
- खेल मंत्रालय पहले ही बहुत कुछ कर चुका है।
- फिर से खिलेड़ियों को अपने फैसलों की समीक्षा करने के लिए मनाने की कोशिश करेगा।
- हमने पहले ही डब्ल्यूएफआई की नई संस्था को निलंबित कर दिया है।
- हमने नवनिर्वाचित संस्था को अपने ही संविधान के प्रावधानों का पालन न करने के लिए निलंबित किया।
- पुरस्कार लौटाना उनके विरोध का तरीका है।
- हमने आईओए से एक ऐसी संस्था बनाने के लिए कहा है, जो नए चुनावों तक डब्ल्यूएफआई का संचालन करे।
- हम फिर से पहलवानों को मनाने की कोशिश करेंगे
- उनसे अनुरोध किया जाएगा कि वे अपने पुरस्कार वापस ले लें।
फोगाट ने क्या कहा…
- जब मुझे सरकारी संदेश फैलाने के लिए चुना गया, तो मैं काफी खुश थी, मौजूदा स्थिति से निराश हूं।
- 2016 में साक्षी के ओलंपिक जीतने के बाद सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया था।
- तब देश की महिलाएं खुश थीं और एक-दूसरे को बधाई दे रही थी।
- अब जब साक्षी को कुश्ती छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, तो मुझे वो साल याद आ रहा है।
- क्या हम महिला खिलाड़ी सिर्फ सरकारी विज्ञापनों के लिए हैं?
- हमें उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने में कोई आपत्ति नहीं है।
- उनमें लिखे नारों से लगता है कि, सरकार ऐसा करना चाहती है।
- सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीरता से काम करें।
- नए पैनल को निलंबित करने में, सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
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