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Analysis: मोदी, मंत्रिमंडल और मुश्किल, समझिए PM की नई कैबिनेट की गुत्थी

by Live Times
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Analysis: देश की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में इस बार किसको जगह मिलेगी और किसे जगह नहीं मिलेगी?

नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनने जा रही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लेकर चर्चा जोरों से चल रही है कि इस बार कौन मंत्रालय BJP के पास रहेगा और कौन मंत्रालय सहयोगी दलों को जाएगा. यही नहीं, यह भी सस्पेंस बना हुआ है कि इस बार मंत्रिमंडल से किसकी छुट्टी होगी और किसकी एंट्री?

तमाम कयासों के बीच एक बात तो साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई टीम 2014 और 2019 से अलग होगी. इसकी वजह साफ है. इस बार BJP खुद बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से 32 सीट दूर रह गई. NDA दलों के समर्थन से सरकार तो बन रही है, लेकिन मोदी के सामने मंत्रिमंडल से ज्यादा अहम है इस सरकार को चलाना. 2019 में मोदी की शानदार जीत हुई थी, तो उन्होंने अपने ढंग से मंत्रिमंडल का गठन किया था. उस कैबिनेट में गठबंधन के दलों को जीती हुई सीटों के हिसाब से मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी. बड़ी मुश्किल से शिवसेना को एक और नीतीश की पार्टी को एक मंत्री पद मिला था. तब सहयोगी दल इस स्थिति में नहीं थे कि अपनी मांग वो जोरदार तरीके से मोदी के सामने रख सकें. अगर ऐसा हुआ भी होगा, तो मुमकिन है BJP ने अनसुना कर दिया गया होगा.

लेकिन इस बार स्थिति विपरीत है. क्योंकि न तो BJP को बहुमत मिला है और न ही गठबंधन इस बार 350 के पार है. मतलब इस बार केंद्र की सरकार सहयोगी दलों की मदद से 90 डिग्री पर खड़ी होगी. एक सुई इधर और उधर होने से सरकार का बैलेंस बिगड़ सकता है. इस आधार पर जाहिर है कि मोदी मंत्रिमंडल न तो 2014 की तरह होगा और न ही 2019 की तरह होगा. फिर सवाल है कि मंत्रिमंडल कैसा होगा?

4 मंत्रालय पर मोदी समझौता नहीं करेंगे?

इस बार कहने की जरूरत नहीं है कि मोदी के सामने सरकार बचाने और चलाने की मजबूरी बड़ी है. लेकिन माना जा रहा है कि वो किसी भी स्थिति में वो कैबिनेट कमिटी ऑफ सिक्युरिटी (CCS) से जुड़े मंत्रालयों पर समझौता नहीं करेंगे. कैबिनेट कमिटी ऑफ सिक्युरिटी में पांच सदस्य होते हैं वो है प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री. ये मंत्री और इनके मंत्रालय सरकार के लिए रणनीतिक लिहाज से अहम होते हैं. हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में रक्षा मंत्रालय जॉर्ज फर्नांडिज को दिया था जो कि सहयोगी दल जेडीयू से थे. लेकिन मोदी की नई कैबिनेट में ऐसा होगा, इसके आसार कम है. ये लगभग तय माना जा रहा है कि सीसीएस के तहत आने वाले मंत्रिमंडल राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, एस जयशंकर और निर्मला सीतारमन को ही दिए जाएंगे.

सहयोगी दल को क्या मिलेगा?

एनडीए को 293 सीटें मिली है. जिसमें BJP के 240 और सहयोगी दलों की 53 सीटें हैं. इसमें भी खास तौर पर N फैक्टर अहम हो गया है। N फैक्टर मतलब नीतीश और नायडू. नीतीश कुमार को बिहार में 12 सीटें और चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश में 16 सीटें मिली हैं. हालांकि एनडीए कुनबे में करीब 40 दल हैं, लेकिन मोदी की नई सरकार मुख्य तौर पर नीतीश और नायडू के समर्थन पर सरकार टिकी होगी. लिहाजा ये दोनों नेता समय की नजाकत समझते हुए सौदा कर सकते हैं.

सियासी गलियारों से जैसी खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक नीतीश कुमार की पार्टी की तरफ से रेल मंत्रालय मांगा जा रहा है, जबकि मोदी सरकार का जोर इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहा है. मसलन रेल, रोड, कृषि, पेट्रोलियम और सिविल एविएशन मंत्रालय है. लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते इस बार मोदी सरकार को समझौता करना पड़ सकता है. बदलती हुई परिस्थिति में जेडीयू को 2-3, टीडीपी को 3-4, जेडीएस को 1, एलजेपी को 1, आरएलडी को 1 , अपना दल को 1, शिवसेना शिंदे गुट को 2, एनसीपी अजीत पवार गुट को 1 और अन्य दलों को 2-3 मंत्रालय मिल सकता है. खासकर जेडीयू और टीडीपी को कम से कम एक-एक महत्वपूर्ण मंत्रालय देना पड़ सकता है.

मोदी सरकार में ज्यादा से ज्यादा 81 मंत्री बन सकते हैं. मतलब करीब 4 सांसदो पर एक मंत्री पद मिल सकता है. ऐसी स्थिति में सहयोगी दलों के करीब 15 मंत्री हो सकते हैं. इस समीकरण को देखें, तो इस बार सहयोगी दलों को रेल, कृषि, नागरिक उड्डयन, भारी उद्योग, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, कृषि, जन वितरण और उपभोक्ता मंत्रालय इत्यादि देना पड़ सकता है.

क्या होगा नए मंत्रिमंडल का खाका?

इस बार BJP को करीब 63 सीटों को नुकसान हुआ है. पार्टी को नुकसान क्यों हुआ है उससे पार्टी सबक लेने की कोशिश करेगी और इसकी झलक मंत्रिमंडल में भी दिख सकती है. इस बार मोदी कैबिनेट में सवर्ण, ओबीसी, दलित और आदिवासी की जनसंख्या के हिसाब से बैलेंस भी बनाना होगा, ताकि जनता को ये संदेश दिया जा सके, कि नई सरकार वाकई सबका साथ सबका विकास और सबको बराबर मौका देने में विश्वास रखती है. इसके अलावा प्रधानमंत्री के द्वारा बोली गई चार जातियों गरीब, महिला, युवा और किसान पर सरकार की जोर रहेगी.

हारे नेताओं को जगह मिलने की उम्मीद कम

चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी रैलियों में अक्सर इन चार जातियों का जिक्र करते थे. मंत्रिमंडल में इसका भी ख्याल रखने की कोशिश करेंगे. आखिरकार वो कौन चेहरे होंगे, इसे लेकर फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं. चर्चा ये भी है कि इस बार हारे हुए 19 मंत्रियों में किसी को जगह नहीं मिलेगी. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अरुण जेटली को हार के बाद भी मंत्री बनाया गया था. लेकिन अरुण जेटली सरकार के थिंक टैंक माने जाते थे और मोदी के भी करीबी थे, इसीलिए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. लेकिन इस बार राजनीति की दिशा और दशा बदली है, ऐसे में हारे हुए नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिले तो ताज्जुब की बात नहीं होगी.


(लेखक धर्मेन्द्र कुमार सिंह लाइव टाइम्स में इनपुट एडिटर हैं)

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