Pakistani Hindu Refugees : राजस्थान के जयपुर में रहने वाले पाकिस्तानी शरणार्थी ने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) की तारीफ की और सहमति जताते हुए BJP की इस पहल को एक अच्छी पहल भी कहा है.
17 May, 2024
Pakistani Hindu Refugees : नागरिकता संशोधन कानून CAA (Citizenship Amendment Act) के लागू होने के बाद राजस्थान के जयपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है. इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं. साथ ही राजस्थान में सालों से रह रहे छह पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों को 17 मई को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है, जिसके चलते परिवार के मुखिया दिलीप सिंह ने BJP सरकार की बेहतरीन योजना की सराहना भी की है.
2014 से पहले पाकिस्तान से आए भारत
राजस्थान के जयपुर में रहने वाले पाकिस्तानी शरणार्थी दिलीप सिंह ने कहा कि CAA बीजेपी सरकार की अच्छी पहल है. उन्होंने इसके लिए सरकार को धन्यवाद दिया. दिलीप जयपुर के उन पांच लोगों में शामिल हैं, जिन्हें CAA के तहत अप्लाई करने के बाद, नागरिकता देने के लिए बुलाया गया था,
जिन शरणार्थियों को नागरिकता देने से पहले डॉक्यूमेंट वैरीफिकेशन के लिए बुलाया गया था. उनमें दिलीप कुमार जयपाल, लालचंद, विनोद कुमार, राहुल कुमार और रेखा देवी शामिल हैं. ये सभी साल 2014 से पहले पाकिस्तान से भारत आए थे, जिसके बाद उन्हें नागरिकता मिली.
सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को मिलेगी नागरिकता
CAA के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र का पहला सेट बुधवार को 14 लोगों को जारी किया गया. दरअसल, CAA लागू होने के लगभग दो महीने बाद पहली बार 14 लोगों को नागरिकता दी गई है. आगे प्रशासन ने जानकारी देते हुए कहा कि CAA के तहत तीन पड़ोसी देशों से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भी भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
What Is Citizenship Amendment Act, क्या है CAA कानून?
CAA (Citizenship Amendment Act) यानी की नागरिकता संशोधन अधिनियम, इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जा रही है. दिसंबर साल 2014 से पहले से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जा रही है. 11 दिसंबर साल 2019 को भारतीय संसद में CAA को पारित किया गया था, जिसके बाद 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी. इसके पक्ष में 125 और खिलाफ में 105 वोट भी पड़े थे.
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