Karnataka: कर्नाटक के मंगलुरू की कंडिगे नंदिनी नदी पर चेलैरु कंडिगे धर्मरासु श्री उल्लाया मंदिर में ‘जात्रा महोत्सव’ के दौरान लोगों ने तालाब में जमकर मछलियां पकड़ते हैं.
16 May, 2024
कर्नाटक के धर्मरासु श्री उल्लाया मंदिर तटीय के पुजारी का कहना है कि खास तौर पर दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में बहुत फेमस मंदिर है. ये त्योहार, ‘नार्मल जप्पू-खंडे देवी अदेपि’ नार्मल मंदिर उडुपी (Udupi) में से शुरू होता है और इसी मंदिर में खत्म होता है. इस त्योहार के मनाने से एक महीने पहले तालाब में छोटी मछलियां छोडी जाती हैं. इस दौरान एक महीने तक मछलियों को पकड़ने पर रोक रहती है. इसके बाद त्योहार आने पर मछलियों को पकड़ते हैं, फिर उन्हें पका कर सबसे पहले देवताओं को समर्पित करते हैं. इसके बाद लोग मिलकर उन्हें प्रसाद के रूप में बांटते हैं.
Karnataka: मछलियां पकाने के बाद देवताओं को करते है समर्पित
निवासी वासुदेव भंगेरा मित्रभटना का कहना है कि मछलियों को पकाने के बाद पहले देवताओं को समर्पित करते हैं. इसके बाद लोग मिलकर उन्हें प्रसाद के रूप में खांते हैं. वहीं दूसरे निवासी का कहना है कि कुछ लोग मछली पकड़ने के शौक से यहां आते हैं और कुछ लोग यहां आते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये भगवान का प्रसाद है. इसकी शुरुआत सुबह से हो जाती है और सब मछली पकड़ने के लिए नदी में उतर जाते हैं. इसके अलावा दोपहर में भी पूजा होती है और इस दोपहर की पूजा होने के बाद लोगों को मछली पकड़ने की इजातज नहीं होती है.
Karnataka: पूजा हो जाने के बाद मछलीयां पकड़ने की इजातज नहीं
गांव के कई लोगों का कहना है कि पानी में बढते प्रदूषण की वजह से इस उत्सव में हिस्सा लेने वालों की तादात कम होती जा रही है. पहले इसमे बहुत लोग हिस्सा लिया करते थे. अब आदमी भी कम हो गए हैं और मछली भी कम है, पानी गंदा हो गया है, इस वजह से पानी में मछली नही है. इसी तलाब में एक टाइम में बड़ी-बड़ी मछलियां हुआ करती थी. लेकिन, अब ऐसा नहीं है.
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