Uttarakhand top: उत्तराखंड के नैनीताल में इकोलॉजी को संरक्षित करने के लिए एनवायरमेंटलिस्ट चंदन सिंह नयाल अब तक करीब 60 हजार पौधे लगा चुके हैं. इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले 30 साल के चंदन सिंह नयाल ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया है.
13 May, 2024
Chandan nayal uttarakhand forest: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रहने वाले चंदन सिंह नयाल ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित करने का फैसला किया है. नैनीताल में इकोलॉजी को संरक्षित करने के लिए वो अब तक करीब 60 हजार पौधे लगा चुके हैं. इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले 30 साल के चंदन सिंह नयाल ने अपना जीवन पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया है. सेल्फ हेल्प ग्रुप की मदद से चंदन अपने गांव में चार हेक्टेयर जमीन पर अलग-अलग तरह के पौधे लगाने का काम कर रहे हैं.
लगा चुके हैं हजारों पौधे
एनवायरमेंटलिस्ट चंदन सिंह नयाल ने कहा, ‘अभी तक लगभग 58,800 जो है पौधे हम लोग स्वयं रोपित कर चुके हैं और एक चार से पांच हेक्टेयर का जंगल हम तैयार कर रहे हैं. इसमें बांस सहित चौड़ी पत्ती के जो जंगल हैं वो हम वहां पर तैयार कर रहे हैं. यहां पिछले 10 साल से हम उसी क्षेत्र में प्लांटेशन भी करते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में जो हमारी वन पंचायते हैं, लगभग 120 वन पंचायतों में भी हम लोग जो है विभिन्न एनजीओ के माध्यम से और संस्थाओं के माध्यम से हम लोग प्लांटेशन कर रहे हैं, जिसमें महिलाओं का, युवाओं का भरपूर मात्रा में हमें सहयोग मिलता है.’
बना चुके 6 हजार पोखर
चंदन सिंह नयाल ने आगे बताया, ‘नदी का जो जलग्रहण क्षेत्र है, उसमें हम लोग छोटे-छोटे गड्डे और पोखर आदि बनाते हैं, इसमें बारिश का पानी रुकता है और वो धीरे-धीरे भूमिगत होता है. युवा साथियों की मदद से अभी तक लगभग 6000 से अधिक पोखर हम लोग बना चुके हैं.’पिछले दस सालों में उन्होंने वन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए छह हजार जल निकायों को बनाने में मदद की है. चंदन हर साल अपनी नर्सरी में करीब 40 हजार पौधे उगाते हैं. वो अब तक 90 हजार पौधे लोगों को बांट चुके हैं. चंदन सिंह नयाल के मुताबिक, पर्यावरण के प्रति बच्चों और नौजवानों में जागरूकता पैदा करने के लिए वो गांवों और स्कूलों का दौरा भी करते हैं.
बनवाई खुद की नर्सरी
सोशल एक्टिविस्ट नरेंद्र शर्मा ने कहा, ‘जो जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का काम किया और छोटे-छोटे चेक डैम बनाकर बरसाती जल को रोककर, चेक डैम बनाने का काम किया. ये अपने आप में एक उल्लेखनीय कार्य है. इसके साथ-साथ उन्होंने अपनी नीजी नर्सरी खोलकर वनों को आगे बढाने का जो काम किया है उसमें जो है लोगों को निशुल्क वृक्ष बांटकर जो उन्होंने एक पहल की है वो अपने आप में अद्वितीय है.’
बॉडी डोनेट करने का लिया फैसला
चंदर सिंह नयाल प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का भी हिस्सा रह चुके हैं. इसके अवाला उन्हें भारत सरकार के ‘वाटर हीरो’ पुरस्कार समेत कई और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. उन्होंने निधन के बाद अपना शरीर हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को डोनेट करने का फैसला किया है.
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