Home Election बिहार की इन 5 सीटों पर चौथे चरण में चुनाव, क्या हैट्रिक लगा पाएंगे गिरिराज और नित्यानंद राय?

बिहार की इन 5 सीटों पर चौथे चरण में चुनाव, क्या हैट्रिक लगा पाएंगे गिरिराज और नित्यानंद राय?

by Rashmi Rani
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Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: बिहार की 5 लोकसभा लोकसभा सीटों पर भी चौथे चरण में चुनाव होगा. चौथे चरण में दो केंद्रीय मंत्रियों सहित 55 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा.

12 May, 2024

Lok Sabha Election 2024: 10 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की 96 लोकसभा सीट पर 13 मई को चौथे चरण का चुनाव होगा.बिहार की 5 लोकसभा लोकसभा सीटों पर भी चौथे चरण में चुनाव होगा. जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. चौथे चरण में दो केंद्रीय मंत्रियों सहित 55 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. दरभंगा, समस्तीपुर(सुरक्षित), उजियारपुर, बेगूसराय और मुंगेर लोकसभा सीट पर सोमवार(13 मई) को मतदान होगा तो हम आज आपको इन पांचों सीटों के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे.

देश को कई केंद्रीय मंत्री देने वाली दरभंगा लोकसभा सीट

दरभंगा लोकसभा सीट पर इस बार नए राजनीतिक समीकरण बनते हुए नजर आ रहे हैं. एनडीए ने इस बार मौजूदा सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है तो इंडिया गठबंधन ने ललित कुमार यादव को मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी ने दुर्गानंद महावीर नायक को टिकट दिया है. हालांकि इस सीट पर BJP पर आरजेडी के बीच सीधे मुकाबला है. 6 विधानसभा सीट इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. जिसमें से तीन पर बीजेपी, 2 पर
जेडीयू और एक सीट पर आरजेडी के विधायक हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता काफी संख्या में हैं. यादव और मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं.

समस्तीपुर(सुरक्षित) में दो मंत्रियों के बच्चों के बीच मुकाबला

समस्तीपुर लोकसभा सीट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. जिसकी वजह बिहार सरकार के मंत्री हैं क्योंकि दोनों के ही बच्चे इस बार आमने सामने खड़े हैं. मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी लोजपा (रामविलास) से उम्मीदवार हैं तो मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी कांग्रेस ने टिकट दिया है. हालांकि बात करें अगर सन्नी हजारी की तो वो राजनीति में नए नहीं हैं, लेकिन शांभवी चौधरी ने अभी राजनीति में कदम रखा है. महेश्वर हजारी जहां
पर्दे के पीछे से अपने बेटे का समर्थन कर रहे हैं, उनके लिए जीत की राह आसान बना रहे हैं. समस्तीपुर की सीट सुरक्षित सीट है. बात करें अगर इस सीट के इतिहास की तो दिग्गज नेता रामविलास पासवान यहां से चुनाव जीतते थे.इस सीट पर उनका दबदबा था.

बेगूसराय में दक्षिणपंथी और वामपंथी हवा के बीच फैसला

बेगूसराय लोकसभा सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई है. जहां बीजेपी ने गिरिराज सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं महांगठबंधन ने CPI के अबधेश राय को टिकट दिया है. दोनों के बीच कांटे की टक्कर है. दक्षिणपंथी हवा और वामपंथी हवा के बीच इस बार फैसला होना है. जहां केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी बेगूसराय में चुनाव प्रचार करने आए और लोगों से वादा किया कि साम्भो मटिहानी पुल गंगा नदी पर बनाया जाएगा. गिरिराज सिंह मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देते रहते हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में भूमिहार मतदाता काफी संख्या में हैं. मुस्लिम और यादव की भी अच्छी खासी आबादी है. अतिपिछड़ा और दलित मतदाता भी हैं.

मुंगेर में अनीता देवी जेडीयू के चाणक्य को दे रही कड़ी टक्कर

मुंगेर सीट से इस बार जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर से दो बार के सांसद ललन सिंह चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनका मुकाबला 17 साल जेल में गुजार कर बाहर आए अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है. अनीता देवी को आरजेडी ने टिकट दिया है. ललन सिंह के लिए इस बार जीत की राह आसान नहीं है. अनीता देवी ललन सिंह को कड़ी टक्कर दे रही हैं. अपनी जीत की राह आसान बनाने के लिए ललन सिंह पिछले एक महीने से लगातार मुंगेर में कैंप कर रहे हैं तो सीएम नीतीश कुमार भी वहां जाकर सभाएं कर रहे हैं. इतना ही नहीं पीएम मोदी भी मुंगेर पहुंचे और लोगों से उनके जीत की अपील की. भूमिहार, मुसलमान और यादव यहां बड़ी आबादी में हैं.

उजियारपुर में नित्यानंद राय के लिए राह नहीं आसान

उजियारपुर लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय इस बार कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं. नित्यानंद राय केंद्र में जितना मजबूत हुए हैं उतनी ही लोगों की अपेक्षाएं उनसे हैं. महागठबंधन ने उनकी इसी कमजोर कड़ी को पकड़ लिया है. यही कारण है कि दो बार जीत का परचम लहरा चुके नित्यानंद राय के लिए इस बार हैट्रिक लगना मुश्किल नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि अब तो मोदी मैजिक ही उन्हें बचा सकता है. महागठबंधन ने इस सीट से आलोक मेहता को उतारा है, जो उन्हें कांटे की टक्कर दे रहे हैं. एक्सपर्ट कहा कहना है कि इस बार उजियारपुर लोकसभा सीट पर लड़ाई ऐसी फंसी है कि हार जीत का कुछ अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है.

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