लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती.

मां के बिना जीवन चुभती धूप सा, उनके आंचल में है सुखमय छांव.

जिंदगी बड़ी हसीन थी सपने के उस गांव में, मां हमें महफूज रखती थी अपने आंचल के छांव में.

जब-जब कागज पर लिखा मैंने मां का नाम, कलम अदब से बोल उठी हो गए तुम्हारे चारों धाम.