Sun temple: यह मंदिर कलिंग वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में से एक है. यह मंदिर 24 पहियों पर टिका है जिन्हें खूबसूरती से तराशा गया है. इसके दोनों तरफ़ 12-12 पहिये हैं. इनमें से चार पहियों को अब भी समय बताने के लिए धूपघड़ी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
09 May, 2024
Orissa konark sun temple: उडीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर बेहद भव्य और विशाल है. इस मंदिर की खास बात ये है कि ये सूर्य देव के रथ की तरह बनाया गया है. यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है. आलीशान सूर्य मंदिर, यूनेस्को की विश्व धरोहर है. इसके बारे में, नोबेल पुरस्कार विजेता, रबिंद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि यह ऐसी जगह है जहां पत्थर की भाषा के सामने इंसान की भाषा बहुत छोटी लगने लगती है. आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और खासियतें.
इतिहास
इसे 13वीं सदी में गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था. इसकी कलाकृतियां हैरत में डाल देती हैं. यह कलिंग वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में से एक है. कहा जाता है कि सूर्य मंदिर को इस तरह से बनाया गया था कि सूरज की पहली किरणें सीधे पूजा करने की जगह और भगवान की मूर्ति पर पड़ें. यह मंदिर 24 पहियों पर टिका है जिन्हें खूबसूरती से तराशा गया है. इसके दोनों तरफ़ 12-12 पहिये हैं. इनमें से 4 पहियों को अब भी समय बताने के लिए धूपघड़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि सूर्य मंदिर को पूजा के लिए बहुत कम समय के लिए इस्तेमाल किया गया था. 17वीं सदी में यहां रखी मूर्ति को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में स्थापित कर दिया गया था. यहां वह जगह दिखाई गई है जहां मूर्ति रखी गई थी.
विशेषताएं
सूर्य मंदिर के मुख्य दरवाज़े को गजसिंह कहा जाता है (गज मतलब हाथी, और सिंह यानी शेर.) यहां पत्थर की दो विशाल मूर्तियां हैं जिनमें शेर हाथियों को कुचल रहे हैं और इस दरवाज़े के नाम के पीछे यही वजह है. मुख्य दरवाज़े से होते हुए आप सूर्य मंदिर के खूबसूरत नाट्य मंदिर में पहुंचते हैं. यहां चौड़ी-चौड़ी सीढ़ियां बनी हैं जो सूर्य मंदिर के जगमोहन (सभा भवन) तक ले जाती हैं. सीढ़ियों के दोनों तरफ़ घोड़े बने हैं. ये घोड़े पत्थर को तराशकर बनाए गए हैं, लेकिन इनको देखकर लगता है कि ये अभी जीवंत हो उठेंगे और अपनी बागडोर को खींचते हुए दौड़ने लगेंगे. सूर्य मंदिर में सूर्यदेव की तीन खूबसूरत मूर्तियां बनाई गई हैं और तीनों की जगह बहुत सूझ-बूझ से तय की गई है. एक से उगता हुआ सूरज देखा जा सकता है, दूसरे से दोपहर का, और तीसरे से ढलता हुआ. मंदिर के निचले हिस्से और इसकी दीवारों पर बनी कलाकृतियों में रोज़मर्रा की गतिविधियां देखी जा सकती हैं.
है यूनेस्को की विश्व धरोहर
कोणार्क का मंदिर अपने आप में अनूठा है, लेकिन हंपी और महाबलीपुरम जैसी जगहों पर भी ऐसे ही रथ वाले मंदिर बने हैं. कोणार्क के सूर्य मंदिर में हर साल हज़ारों की तादात में लोग आते हैं. यहां हर साल मनाए जाने वाले कोणार्क महोत्सव का सांस्कृतिक तौर पर बहुत महत्व है. सूर्य मंदिर के दक्षिणी हिस्से में युद्ध के घोड़ों की दो खूबसूरत मूर्तियां हैं. ये सात फ़ीट ऊंची और 10 फ़ीट लंबी हैं. ये घोड़े ताकत और ऊर्जा का प्रतीक हैं. इन घोड़ों को एक योद्धा को कुचलते हुए दिखाया गया है. यह मूर्ति उड़ीसा सरकार का चिह्न भी है. सूर्य मंदिर के परिसर में 22 मंदिर हैं. इनमें से एक मंदिर सूर्यदेव की पत्नी छाया देवी का है . हालांकि, अब यह मंदिर खंडहर हो चुका है, लेकिन इसकी नक्काशियों से प्रतीत होता है कि यह बहुत भव्य रहा होगा.
हैरत में डालती है डिजाइन
सूर्य मंदिर में कई खूबसूरत कलाकृतियां हैं जिनमें से कुछ में कामुक चित्र बने हैं और सैलानियों को खजुराहो की याद दिलाते हैं. दूसरी मूर्तियों में पौराणिक जीव और जानवर बने हैं, जैसे कि हाथी और पक्षी. सूर्य मंदिर में कामुक कलाकृतियों को बेबाक तरीके से दिखाया गया है. इसकी यह खासियत देखने वालों को हैरत में डाल देती है. इनको देखकर पता चलता है कि उस समय के कलाकार कितने कुशल थे.
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