Home Election Shyam Lal Pal की समाजवादी पार्टी ने क्यों की ताजपोशी, जानिए क्या हैं सियासी मायने?

Shyam Lal Pal की समाजवादी पार्टी ने क्यों की ताजपोशी, जानिए क्या हैं सियासी मायने?

by Rashmi Rani
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UP Third Phase Eletions

UP Third Phase Eletions: समाजवादी पार्टी ने श्याम लाल पाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. इसके सहारे पार्टी प्रदेश के पाल वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रही है.

06 May, 2024

UP Third Phase Eletions: समाजवादी पार्टी ने श्याम लाल पाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. इसके सहारे पार्टी प्रदेश के पाल वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रही है. श्यामलाल पाल शिक्षाविद् हैं और एक इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वह लगभग 20 सालों से समाजवादी पार्टी में हैं. वह नरेश उत्तम पटेल की समिति में उपाध्यक्ष के पद पर थे.

प्रयागराज के रहने वाले हैं नये प्रदेश अध्यक्ष

श्यामलाल मूलरूप से प्रयागराज के प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के आला नगरी मोहिउद्दीनपुर गांव के रहने वाले हैं. फिर 2002 में अपना दल के टिकट पर प्रतापपुर सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़े चुके हैं. हालांकि, इसके कुछ दिन बाद ही वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. श्याम लाल पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर प्रयागराज के कार्यकर्ताओं ने खुशी जाहिर की है.

पार्टी में पहले भी कर चुके हैं काम

वह पार्टी में प्रदेश सचिव व महासचिव पद पर काम कर चुके हैं.अभी तक वो SP के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. माना जा रहा है कि पाल समाज के वोटरों को रिझाने के लिए पार्टी ने यह कदम उठाया है. 2007 में जनसेवा इंटर कालेज मोहिउद्दीनपुर से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए उसके बाद अपना दल के टिकट पर प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था. फिर वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

पाल समुदाय के वोटों को साधने की कोशिश

श्याम लाल पाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर कहा जा रहा है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बहुत ही सोची-समझी रणनीति के तहत यह फैसला किया है. इसके पीछ यहीं कारण है कि पाल समुदाय के वोटों को साधा जा सके. बता दें कि पाल समाज अतिपिछड़ी जातियों में आता है, जिसे गड़रिया और बघेल जातियों के नाम से जाना जाता है और इनको काफी अहम माना जाता है. वोट बैंक के नजरिए से बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में इनका महत्व है. इसके आलावा फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, प्रयागराज और बुंदेलखड में भी इनकी संख्या 20 से 50 हजार में है.

अकबरपुर सीट पर भी पाल समुदाय का प्रभाव

बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड ने पूरी तरह से सियासी रंग को बदल दिया था. जो सपा के लिए नुकसान वाला साबित हो रहा है. ऐसे अखिलेश यादव ने पाल समुदाय के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सपा ने अकबरपुर सीट से भी राजा राम पाल को प्रत्याशी बनाया है. जो की पाल समुदाय से आते हैं और तीसरे चरण के चुनाव में कई सीटों पर पाल समुदाय बहुत अहम माना जा रहा है.

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