Zanskari Horse: जांसकारी नस्ल ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के लेह-लद्दाख में पाए जाने वाले देशी घोड़े हैं. इन्हें ताकत और बहुत ज्यादा ठंड को झेलने के लिए जाना जाता है. देश में पिछली बार हुई पालतू जानवरों की जनगणना के अनुसार, भारत में केवल 6600 से कुछ अधिक जांसकारी घोड़े बचे हैं.
03 May, 2024
Embryo Transplantation Technique: राजस्थान के बीकानेर में मौजूद ‘नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइंस’ ने भ्रूण ट्रांसफर तकनीक से देश में पहली बार जांसकारी नस्ल के घोड़े का बच्चा पैदा किया है. ये बच्चा जांसकारी घोड़े से कृत्रिम गर्भाधान करके और साढ़े छह दिन बाद भ्रूण को दूसरी घोड़ी में ट्रांसफर करके पैदा किया गया है.
क्या है एम्ब्रायो ट्रांसफर टेक्निक
बीकानेर नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइंस के अधीक्षक डॉ. एस. सी. मेहता के अनुसार, ‘ये एम्ब्रायो ट्रांसफर टेक्निक का हमने इस बार प्रयोग किया और सफलता पूर्वक प्रयोग करते हुए यहां जांसकारी घोड़ी से हमने एम्ब्रायो ट्रांसप्लांट के जरिए बच्चा प्राप्त किया है. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, पूरे भारत में अश्वों के प्रजनन पर और अश्वों की बाकी सब चीजों पर काम करता है. इस ऑर्गनाइजेशन ने अश्वों में भ्रूण प्रत्यर्पण फिर चाहे वो मारवाड़ी घोड़े में हो, चाहे वो फ्रोजन सीमन से हो या इस बार जो जांसकारी घोड़ी में किया हो वो पहली बार किया है.’
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
जांसकारी नस्ल, ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के लेह-लद्दाख में पाए जाने वाले देशी घोड़े हैं. इन्हें ताकत और बहुत ज्यादा ठंड को झेलने के लिए जाना जाता है. देश में पिछली बार हुई पालतू जानवरों की जनगणना के अनुसार, भारत में केवल 6600 से कुछ अधिक जांसकारी घोड़े बचे हैं. संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि वो लुप्त हो रही घोड़ों की इस नस्ल को बचाने के लिए भ्रूण ट्रांसफर टेक्निक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कैसे पैदा होगी नस्ल
बीकानेर शनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइंस के वैज्ञानिक डॉ. टी. आर. राव ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि’इस भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रिया में एक घोड़ी से हमने सांतवे-आठवे दिन का बच्चे को निकालकर, दूसरी घोड़ी उसी समय के चलते हुए सिंक्रोनाइज को उस घोड़ी के अंदर डाला और उसको प्रेगनेंट कराकर उससे बच्चा प्राप्त किया. इससे कई तरह के फायदे हैं. जो घोड़ी आमतौर पर अपनी जिंदगी में 10 बच्चे देती है, उस घोड़ी से हम लोग कम से कम 20 बच्चे तक ले सकते हैं और जो घोड़ी को बच्चा पैदा करने में या कंसीव करने में दिक्कत होती है, उसका भी समाधान इससे मिल सकता है.’
पहला जांसकारी घोड़ा
अप्रैल के अंतिम हफ्ते में पैदा हुए जांसकारी घोड़े के बच्चे का वजन 28 किलो है और इसका नाम राज जांसकार रखा गया है.
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